
भोपाल। प्रदेश सरकार विदिशा जिले में ग्रामीण परिवहन सेवा के सफल प्रयोग के बाद इसे प्रदेश के पांच आदिवासी जिलों में लागू करने जा रही है, इनमें आलीराजपुर, झाबुआ, डिंडौरी, मंडला और अनूपपुर शामिल हैं। इसके लिए सरकार ने ग्रामीण परिवहन नीति में एक बड़ा बदलाव भी किया है, जिसमें प्रोत्साहन राशि की जगह बस आपरेटर को ग्रामीण मार्ग पर वाहन चलाने की राशि तय करने का अधिकार रहेगा।
मालूम हो, मार्च के महीने में पचमढ़ी में आयोजित मंथन शिविर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुलभ आवागमन की सुविधा देने के लिए ग्रामीण परिवहन सेवा शुरू करने की घोषणा की थी। इसी के बाद मई में नई नीति बनाकर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विदिशा जिले में ग्रामीण परिवहन सेवा की शुरुआत की थी। छह माह बाद इस सेवा के क्रियान्वयन में आई कमियों को दूर कर अब इसे प्रदेश के पांच आदिवासी जिलों में शुरू किया जा रहा है।
कलेक्टरों को पत्र लिखा
परिवहन आयुक्त एसके झा ने बताया ग्रामीण परिवहन सेवा में रूट सर्वे सहित अन्य प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के लिए पांचों जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखा गया है। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद अगले माह जनवरी से इन जिलों में ग्रामीण परिवहन सेवा की शुरुआत की जाएगी।
इस तरह होगा परिवहन सेवा का क्रियान्वयन
पांच जिलों में ग्रामीण परिवहन सेवा के लिए जिला स्तरीय समिति द्वारा पहले रूट तय किए जाएंगे। अधिसूचना का प्रकाशन कर गांवों की जनसंख्या के आधार पर वाहन क्षमता, वाहनों के फेरे और वाहनों की संख्या का निर्धारण किया जाएगा। परिवहन विभाग के मापदंड के अनुसार यात्री किराया तय कर छह माह या एक वर्ष की अवधि के लिए रूटवार निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी, जिस आपरेटर की निविदा दर न्यूनतम होगी, उन्हें इस सेवा से जोड़ा जाएगा। ग्रामीण परिवहन सेवा के वाहनों का रंग एक ही तरह का होगा, इसका निर्धारण भी जिला स्तर पर ही किया जाएगा।
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