नागदा (प्रफुल्ल शुक्ला)। भाजपा में टिकिट को लेकर चल रही मारामारी किसी से छुपी नहीं है। एक दर्जन दावेदार ताल ठोक रहे हैं। गुजरात से आए पर्यवेक्षक की रिपोर्ट भोपाल पहुँच भी गई है और आगामी दिनों में जल्द ही उम्मीदवार घोषित हो भी जाएगा। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में ऊपर से तो सब ठीक दिख रहा है परंतु लगातार दिलीप गुर्जर के ही रिपिटेशन से अंदरूनी नाराजगी देखी जा रही है। सुगबगाहट तो यहाँ तक है कि नागदा नगर पालिका परिषद के कांग्रेसी पार्षदों का एक गुट मौके की तलाश में है। कांग्रेस के असंतुष्ट पार्षद भाजपा के वरिष्ठ नेता के सम्पर्क में हैं और भाजपा का उम्मीदवार घोषित होते ही ये पार्षद भाजपा का दमन थाम लेंगे। वैसे तो कांग्रेस में विधायक दिलीप सिंह गुर्जर के कद का कोई कांग्रेसी नेता क्षेत्र में नहीं हैं और इसीलिए इनका टिकिट भी तय माना जा रहा है। विधायक का यही बरगदरूपी स्वरूप कई कांग्रेसी नेताओं को रोड़ा लग रहा है और उन्हें कांग्रेस में अपना कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है।
यही कारण रहा कि कांग्रेस के तात्कालिक जिला अध्यक्ष और पूर्व पार्षद सुबोध स्वामी जो कि दिलीप सिंह गुर्जर के 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रमुख सिपासलाहर थे, आप पार्टी का दामन थाम चुके है और वर्तमान में जिला अध्यक्ष भी हैं। गौरतलब है कि पिछले वर्ष हुए नपा पार्षद चुनाव में स्वामी कांग्रेस के उम्मीदवार थे और मात्र एक वोट के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। वैसे कांग्रेस में भी मतदाताओं में पकड़ रखने वाले नेताओं की कमी नहीं है। खाचरौद से जनपद अध्यक्ष पृथ्वीराज सिंह पंवार, खाचरौद नपा अध्यक्ष गोविन्द भरावा, संजय नंदेड़ा, वहीं नागदा से कई सफल आंदोलन करने वाले बसंत मालपानी, पार्षद रह चुके और समाजसेवी रघुनाथ सिंह बब्बू आदि कांग्रेस में परिवर्तन की स्थिति में नए चेहरे हो सकते हैं, जिन पर एंटीइनकमबेंसी का असर नहीं होगा। वैसे सीधे तौर पर दोनों ही स्थिति में भाजपा को इस क्षेत्र में कद्दावर उम्मीदवार ही देना होगा जिसे राजनीति का लम्बा अनुभव हो जिसके बल पर वह कांग्रेस के इस गढ़ को ढहा सके। Share: