
वाशिंगटन। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia–Ukraine War) को लेकर सोमवार को बड़ा घटनाक्रम सामने आया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump.) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) के बीच हुई दो घंटे की कॉल के बाद अब यूक्रेन संग सीधी बातचीत और युद्धविराम (Ukraine Ceasefire) की उम्मीद बनी है। ट्रंप ने खुद कहा कि दोनों पक्ष ‘तुरंत’ बातचीत शुरू करेंगे।
ट्रंप-पुतिन के बीच कॉल में क्या हुआ
सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच लगभग दो घंटे लंबी फोन कॉल हुई। ट्रंप ने इस बातचीत को “एक्सीलेंट” बताया और कहा कि अगर बात अच्छी नहीं होती, तो वे साफ कह देते।
ट्रंप ने दावा किया कि रूस और यूक्रेन “तुरंत” युद्धविराम और शांति समझौते को लेकर बातचीत शुरू करेंगे। यह कॉल ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों नेताओं के बीच तीसरी सार्वजनिक बातचीत थी।
वार्ता की मेजबानी करेगा वैटिकन?
ट्रंप ने कहा कि वैटिकन ने संभावित बातचीत के लिए मेजबानी की पेशकश की है। इसके अलावा इस्तांबुल और स्विट्ज़रलैंड को भी वैकल्पिक स्थानों के रूप में देखा जा रहा है। उधर, पुतिन ने भी ट्रंप से कॉल को “फ्रैंक” और “उपयोगी” बताया। उन्होंने कहा कि रूस अब यूक्रेन के साथ “समझौते के सिद्धांतों, समय-सीमा और युद्धविराम” पर एक ज्ञापन तैयार करेगा। पुतिन ने ज़ोर दिया कि “इस संकट की जड़ को खत्म करना जरूरी है।”
जेलेंस्की क्या बोले?
ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से भी फोन पर बात की। जेलेंस्की ने पुष्टि की कि ट्रंप चाहते हैं कि रूस और यूक्रेन सीधी वार्ता करें। जेलेंस्की ने कहा कि रूसी पक्ष अपनी मांगों वाला एक दस्तावेज़ साझा करेगा, जिस पर आगे की बातचीत होगी। उन्होंने बताया कि अगली मीटिंग में अमेरिकी, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन भी शामिल हो सकते हैं। कॉल के बाद ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं को भी ब्रीफ किया। इसमें जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों, इटली की पीएम मेलोनी, यूरोपीय आयोग की प्रमुख वॉन डेर लायन और अन्य नेता शामिल थे। यूरोपीय पक्ष ने रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए और प्रतिबंधों की बात कही है।
बता दें कि रूस अब भी चार यूक्रेनी क्षेत्रों को मांग रहा है, जो वह पूरी तरह नियंत्रित नहीं करता। मॉस्को चाहता है कि यूक्रेन कभी NATO में शामिल न हो और अपनी सैन्य ताकत सीमित करे। अमेरिका फिलहाल रूस पर नई सज़ाओं से बचता दिख रहा है।
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