
नई दिल्ली । ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के दौरान अमृतसर (Amritsar) के स्वर्ण मंदिर परिसर (Golden Temple Complex) में कोई हवाई रक्षा प्रणाली (Air defense system) या कोई अन्य हवाई रक्षा संसाधन तैनात नहीं किया गया था। भारतीय सेना (Indian Army) ने मंगलवार को एक बयान जारी कर यह स्पष्टीकरण दिया है। यह बयान उन खबरों के मद्देनजर आया है, जिनमें कहा जा रहा था कि स्वर्ण मंदिर प्रबंधन ने पाकिस्तान से संभावित ड्रोन और मिसाइल खतरों से निपटने के लिए सेना को मंदिर परिसर के भीतर हवाई रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति दी थी। सेना ने एक बयान में कहा, “स्वर्ण मंदिर में हवाई रक्षा प्रणाली की तैनाती के संबंध में मीडिया में कुछ खबरें प्रसारित हो रही हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि श्री दरबार साहिब अमृतसर (स्वर्ण मंदिर) के परिसर में कोई भी हवाई रक्षा प्रणाली या कोई अन्य हवाई रक्षा संसाधन या कोई एयर डिफेंस गन तैनात नहीं किया गया था।”Operation Sindoor,Amritsar,Golden Temple Complex,Air defense system,Indian Army,
इससे पहले, खबरों को खारिज करते हुए स्वर्ण मंदिर के अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी और सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने कहा था कि भारतीय सेना को कोई भी हवाई रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति नहीं दी गई थी। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने भी कहा कि हालांकि प्रशासन ने उनसे भारत व पाकिस्तान के बीच हाल ही में बढ़े तनाव के बाद ‘ब्लैकआउट’ के दौरान केवल लाइटें बंद करने के बारे में ही संपर्क किया था, और उन्होंने ‘मर्यादा’ संबंधी शुचिता बनाए रखते हुए प्रशासनिक जिम्मेदारी के हित में पूरा सहयोग किया। धामी ने कहा कि श्री हरमंदर साहिब में हवाई रक्षा प्रणाली की तैनाती के संबंध में किसी भी सैन्य अधिकारी से कोई संपर्क नहीं हुआ।
SGPC ने भी ऐसी खबरों को किया खारिज
श्री हरमंदर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी स्पष्ट किया कि यद्यपि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वह विदेश यात्रा पर थे, लेकिन हवाई रक्षा प्रणाली की तैनाती के संबंध में उनसे कोई बातचीत नहीं हुई और न ही स्वर्ण मंदिर में ऐसी कोई घटना घटी। स्वर्ण मंदिर के अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने कहा कि यह सच नहीं है कि सेना को पाकिस्तान से संभावित ड्रोन और मिसाइल खतरों से निपटने के लिए स्वर्ण मंदिर के भीतर हवाई रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति दी गई थी। सिंह ने कहा कि यह दावा पूरी तरह से झूठ है। उन्होंने कहा कि प्रणाली लगाने की कभी कोई अनुमति नहीं दी गई।
धार्मिक स्थल की पवित्रता पूरी जिम्मेदारी के साथ बनाए रखी
सिंह ने स्पष्ट किया कि हरमंदर साहिब के प्रबंधन ने निर्धारित समयसीमा के भीतर परिसर की बाहरी और ऊपरी लाइटें बंद करके शहर में ‘ब्लैकआउट’ के संबंध में जिला प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन किया था। उन्होंने कहा कि हालांकि, जिन स्थानों पर धार्मिक आचार संहिता का पालन किया जाता है, वहां रोशनी रखी गई और धार्मिक स्थल की पवित्रता पूरी जिम्मेदारी के साथ बनाए रखी गयी। सिंह ने दोहराया कि श्री दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर), गुरु रामदास जी के लंगर, श्री अखंड पाठ साहिब के स्थान और अन्य संबंधित गुरुद्वारों में दैनिक धार्मिक प्रथाएं सख्त मानक नियमों के अनुसार आयोजित की जाती हैं और किसी को भी उनमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
‘ब्लैकआउट’ के दौरान दिशा-निर्देशों का पालन किया
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद हरमंदर साहिब में पूर्ण धार्मिक आचार संहिता का पालन समर्पण और अनुशासन के साथ जारी रहा। सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘ब्लैकआउट’ के दौरान भी किसी भी धार्मिक स्थल पर लाइटें बंद नहीं की गईं, जहां ‘मर्यादा’ का पालन किया जा रहा था। एसजीपीसी प्रमुख धामी ने कहा कि सिंह के साथ परामर्श के आधार पर जिला प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए केवल बाहरी लाइटें बंद की गईं।
उन्होंने बताया कि ‘ब्लैकआउट’ के दौरान भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहे और सेवा करते रहे और यदि हवाई रक्षा प्रणाली की तैनाती जैसी कोई घटना हुई होती तो संगत ने निश्चित रूप से इस पर ध्यान दिया होता। धामी ने तनावपूर्ण परिस्थितियों के दौरान सेना और देश द्वारा निभाई गई सराहनीय भूमिका को स्वीकार किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि “घटना के कुछ दिनों बाद सिखों के प्रमुख धार्मिक स्थल के बारे में इस तरह की झूठी बातें फैलाना चौंकाने वाला असत्य है।”
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