नई दिल्ली। केरल में ऑनलाइन ऐप (online apps in kerala) का इस्तेमाल करने वाले 16 वर्षीय लड़के को यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। यह मामला डेटिंग ऐप के खतरों को उजागर करता है। पुलिस ने सरकारी कर्मचारियों समेत 14 लोगों पर किशोर का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। इन आरोपियों ने ऐप के जरिए लड़के से दोस्ती की थी और बाद में उसका उत्पीड़न किया। पिछले महीने जब जांच शुरू हुई तो पता चला कि किशोर लगभग 2 साल से ऑनलाइन मंच पर सक्रिय था और इसके लिए फर्जी प्रोफाइल का उपयोग कर रहा था। पुलिस के लिए इस तरह की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। पुलिस का कहना है कि ऐसे अपराध तेजी से आम होते जा रहे हैं।
बचाने के प्रयास जारी
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 और जुलाई 2025 के बीच डी-डीएडी केंद्रों ने डिजिटल लत के 1992 मामलों का निपटारा किया। इनमें से 571 मामले ऐसे बच्चों के थे जो विशेष रूप से ऑनलाइन गेम के आदी थे। एर्नाकुलम में स्टूडेंट पुलिस कैडेट प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी और जिले के डी-डीएडी केंद्र के समन्वयक सोराज कुमार एम बी ने कहा कि इस पहल से सैकड़ों बच्चों को समय पर सहायता मिली है। उन्होंने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि लड़के ज्यादातर ऑनलाइन गेम के आदी हैं, जबकि लड़कियां सोशल मीडिया मंचों की ओर ज्यादा आकर्षित होती हैं। हमारे काउंसलर इन आदतों से छुटकारा पाने के व्यावहारिक तरीके सुझाते हैं। इस प्रक्रिया में माता-पिता को भी शामिल करते हैं।’
अभिभावकों के नजरिए में बदलाव
सूरज के अनुसार, इस प्रोजेक्ट की एक बड़ी सफलता अभिभावकों के नजरिए में बदलाव लाना रही है। उन्होंने कहा, ‘पहले कई परिवार मोबाइल फोन के इस्तेमाल को शराब या नशीले पदार्थों की तरह लत मानने से इनकार करते थे, लेकिन अब अभिभावकों को एहसास हो रहा है कि डिजिटल लत एक वास्तविक लत है और वे चाहते हैं कि उनके बच्चों को इससे छुटकारा मिले।’ राज्य सरकार ने हाल में इन केंद्रों पर काउंसलर के लिए करार का नवीनीकरण किया है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में है।
मोबाइल फोन और इंटरनेट का दुरुपयोग
बच्चों की ओर से मोबाइल और इंटरनेट के अत्यधिक उपयोग पर हाल में राज्य विधानसभा सत्र में भी चिंता व्यक्त की गई थी। विधायक के जे मैक्सी के एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया था कि जनवरी 2021 से 9 सितंबर, 2025 के बीच मोबाइल फोन और इंटरनेट के दुरुपयोग के कारण 41 बच्चों ने आत्महत्या की। उन्होंने यह भी बताया था कि इसी अवधि में डिजिटल मंचों के दुरुपयोग से जुड़े यौन या मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों में शामिल 30 बच्चों की पहचान की गई और उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा। साइबर कानून विशेषज्ञ और साइबर सुरक्षा फाउंडेशन के संस्थापक अधिवक्ता जियास जमाल ने डी-डीएडी कार्यक्रम को एक ऐसी आदर्श पहल बताया, जिसका अन्य राज्यों को भी अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि नाबालिगों द्वारा डेटिंग ऐप का बढ़ता दुरुपयोग एक गंभीर चुनौती है।
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