
इंदौर। प्राधिकरण की वित्तीय स्थिति चूंकि अब अत्यंत मजबूत है और एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की तो एफडी ही हो गई है, इसलिए उसे अब पुराने भूखंडों में एकमुश्त लीज जमा करवाने की जरूरत नहीं है। लिहाजा अब 20 गुना लीज रेंट एक साथ जमा कर आजीवन लीज माफी का प्रमाण-पत्र नहीं मिलेगा, बल्कि जितने साल की एकमुश्त लीज आवंटिती द्वारा भरी जाएगी, उतने ही साल का लाभ होगा। वहीं दूसरी तरफ खाली पड़े भूखंडों पर भी अब नक्शा मंजूर करवाकर निर्माण करना होगा, अन्यथा लीज निरस्ती से लेकर नामांतरण सहित अन्य प्रक्रिया में परेशानी आएगी।
आज प्राधिकरण बोर्ड की दोपहर 4 बजे बैठक आयोजित की गई है, जिसमें लगभग दो दर्जन से अधिक प्रस्ताव रखे गए हैं, जिनमें सम्पदा शाखा का एकमुश्त लीज रेंट जमा करने से जुड़ा प्रस्ताव भी शामिल है। दरअसल 15-20 साल पहले जब प्राधिकरण की आर्थिक हालत खराब थी, उस वक्त भूखंड आवंटन के साथ यह सुविधा दी जाती थी कि 10-15 या 20 साल का लीज रेंट एकमुश्त अगर भर दिया जाए तो फिर आवंटिती को जीवनभर लीज रेंट भरने की जरूरत नहीं रहेगी। तत्समय बोर्ड संकल्प के आधार पर यह प्रावधान लागू किया गया, जिसका कई आवंटितों ने लाभ उठाया और बदले में एकमुश्त लीज रेंट जमा कर आजीवन लीज माफी का प्रमाण-पत्र भी हासिल कर लिया। पहले 10 साल, उसके बाद 15 और अब 20 साल का लीज रेंट एकमुश्त भरने का प्रावधान चलन में है। मगर अब यह तय किया जा रहा है कि आवंटिती अपनी सुविधा के मुताबिक जितने वर्ष का लीज रेंट एकमुश्त भरना चाहे तो उसे उतने वर्ष तक ही हर साल राशि नहीं जमा करना पड़ेगी, मगर आजीवन का प्रमाण-पत्र नहीं मिलेगा। उदाहरण के लिए किसी आवंटिती ने 10 साल या 20 साल का लीज रेंट एक साथ भर दिया तो उसे इतने ही वर्षों तक की सुविधा मिलेगी।
अभी तक वह आजीवन उसका लाभ उठा सकता था। यह भी उल्लेखनीय है कि 2018 से प्राधिकरण फ्री होल्ड सम्पत्तियां बेच रहा है। यानी उस पर सालाना लीज रेंट नहीं लिया जाता है, मगर उसके पूर्व बेची गई सम्पत्तियों पर लीज रेंट देय रहता है। इसके अलावा आज की बोर्ड बैठक में विभिन्न योजनाओं में आवंटित भूखंडों पर निर्धारित समयावधि में भवन निर्माण न करने से जुड़ा प्रस्ताव भी रखा गया है, जिसमें अब यह तय किया जाएगा कि ऐसे आवंटितों को निगम से नक्शा मंजूर कर अपने खाली भूखंड पर निर्माण कार्य शुरू करना होगा और निर्धारित विलंब शुल्क, यानी कम्पाउंडिंग की राशि भी जमा होगी। अभी प्राधिकरण ने इस तरह के भूखंडों में लीज नवीनीकरण से लेकर नामांतरण और अन्य प्रक्रियाओं पर रोक लगा रखी है, जिसके कारण कई आवंटिती चक्कर भी काट रहे हैं। आज की बोर्ड बैठक में टीपीएस-4 सहित अन्य के विकास कार्यों से जुड़े टेंडरों की मंजूरी के अलावा लवकुश चौराहा पर जो डबल डेकर फ्लायओवर बन रहा है उसकी सर्विस रोड, जो अभी डामर की है, की जगह सीमेंट-कांक्रीट की निर्मित की जाएगी और प्राधिकरण की तमाम योजनाओं में जमीनों पर जो अतिक्रमण, अवैध निर्माण हैं, उनका सर्वे भी कराया जाएगा।
अभी तक यह भी चर्चा थी कि आज की बोर्ड बैठक में विवादित और चर्चित योजना 171 से जुड़ा प्रस्ताव भी रखा जाएगा। मगर सूत्रों का कहना है कि इस योजना में चूंकि एक दर्जन से अधिक विवादित गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें हैं और प्राधिकरण में संभागायुक्त और अध्यक्ष के साथ सीईओ भी कुछ समय पूर्व ही पदस्थ हुए हैं, लिहाजा वे इस योजना से जुड़ी सभी विसंगतियों को समझना चाहते हैं। इसके बाद ही प्रस्ताव बोर्ड में रखा जाएगा, जिसके चलते ऐनवक्त पर योजना 171 को आज की बैठक में शामिल न करने का निर्णय लिया गया। दूसरी तरफ योजना 78 में संगीत कला अकादमी को जो भूखंड आवंटित किया गया था, जिसको लेकर भी लम्बे समय तक अनिर्णय की स्थिति रही और प्राधिकरण ने इसे निरस्त करने का भी निर्णय लिया। मगर राजनीतिक दबाव-प्रभाव के चलते यह हो नहीं पाया और इस भूखंड की लीज नवीनीकरण का प्रस्ताव भी रखा गया है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सरकार के वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के मित्र सुभाष गुप्ता से जुड़ी संस्था को यह जमीन प्राधिकरण से आवंटित करवाई गई। अन्य विषयों के अलावा आज से प्राधिकरण में जनसुनवाई भी शुरू की जा रही है। प्राधिकरण सीईओ डॉ. परीक्षित झाड़े के मुताबिक सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार को अब 11 बजे से यह जनसुनवाई रखी गई है और आज इसका
पहला दिन रहेगा।
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