
नई दिल्ली: दिल्ली बम धमाके (Delhi Bomb Blast) में गिरफ्तार आतंकी (Terrorist Arrested) आदिल अहमद रथर (Adil Ahmed Rather) ने पूछताछ के दौरान जांच एजेंसियों के सामने ऐसे सिलसिलेवार और विस्तृत खुलासे किए हैं, जिनसे एक सुनियोजित आतंकी नेटवर्क, उसकी फंडिंग, हथियारों की खरीद, कट्टरपंथी विचारधारा और वर्षों से चली आ रही साजिशों की पूरी तस्वीर सामने आती है. आतंकी आदिल ने बताया कि अक्टूबर 2025 में उसकी शादी हुई. आदिल के दो भाई हैं, जिसमें से एक डॉ. मुज़फ्फर अहमद रथर (32) जो एमडी पीडियाट्रिक्स हैं और जुलाई-अगस्त 2025 में दुबई के रास्ते अफगानिस्तान गया.
आदिल के अनुसार, मुज़फ्फर वहां तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़े आतंकियों के इलाज का काम कर रहा है. आदिल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जम्मू-कश्मीर में पूरी की. उसने MBBS (2012–2018) और MD (मेडिसिन) (2018–2022) गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर से किया. अक्टूबर 2022 में उसने GMC अनंतनाग में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में जॉइन किया. बाद में उसे उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित V Bros Hospital में कंसल्टेंट के तौर पर जॉइन किया. मार्च 2025 में उसने इस्तीफा दिया और अप्रैल 2025 में सहारनपुर के Famous Medicare Hospital में कंसल्टेंट के रूप में काम करने लगा.
आदिल ने बताया कि शुरू में वह ज्यादा धार्मिक नहीं था और संगीत गाने व क्रिकेट खेलने जैसे शौक रखता था, लेकिन GMC अनंतनाग के हॉस्टल में भाई मुज़फ्फर के साथ रहने के दौरान और बाद में मुफ्ती इरफान अहमद वागे तथा डॉ. उमर मोहम्मद नबी (जो बाद में आत्मघाती हमलावर बना) के संपर्क में आने के बाद उसका झुकाव कट्टरपंथ की ओर बढ़ता गया. उसे उसके शौक ‘गुनाह’ बताए गए और उसने खुद को पूरी तरह इस्लामिक साहित्य तक सीमित कर लिया.
2021 में आदिल अपने भाई के जरिए मुज़म्मिल के संपर्क में आया. इसी दौरान उसकी पहचान डॉ. उमर और मुफ्ती इरफान से हुई. चारों ने मिलकर सक्रिय आतंकवाद में शामिल होने की योजना बनाई. टेलीग्राम के जरिए आतंकी हैंडलर (अंसार गजवात उल हिन्द) @Hashim और @Mansoor से संपर्क किया गया, हालांकि कुछ महीनों बाद यह संपर्क टूट गया. इसके बाद समूह ने खुद ही विचारधारा फैलाने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का फैसला किया.
मुज़फ्फर ने अफगानिस्तान जाने की योजना बनाई और तुर्की के रास्ते वहां पहुंचने का प्रयास किया. अप्रैल 2022 में मुज़फ्फर, मुज़म्मिल और उमर इस्तांबुल पहुंचे, वहां उन्हें तक्सीम स्क्वायर के पास रखा गया, जहां डॉ. उकाशा नाम के शख्स ने उनके पासपोर्ट अपने पास रख लिए लेकिन 10 दिनों के बाद उकाशा ने उन्हें बताया कि सुरक्षा कारणों से अफगानिस्तान भेजने की योजना संभव नही है और अप्रैल 2022 में तीनों भारत लौट आए.
जून 2022 में उमर ने खुद विस्फोटक बनाने की योजना बनाई, जिसके लिए उसने गूगल और यूट्यूब का सहारा लिया. 2023 में उमर ने कहा कि वो विस्फोटक बनाने में सफल नही हो पा रहा है, पर उसे विश्वास था कि वो एक दिन बना लेगा. 2023 में एक व्यक्ति तुफैल अहमद भट के जरिए AK-47 खरीदने का सौदा हुआ. जिसके लिए मुज़म्मिल में करीबन 7.5 लाख रुपये का फंड इकट्ठा किया और उसे उमर को दे दिया, जिसमें से पहली AK-47 करीब 6 लाख रुपये में खरीदी गई.
उमर ने आगे दावा किया कि बाकी बचे पैसे से वो हैंडग्रेनेड खरीदने वाला है, लेकिन बाद में उसने बताया कि हैंड ग्रेनेड बेचने वाला गिरफ्तार हो गया और उसे दिए गए पैसे भी नही मिले. इसी विषय पर मुज़म्मिल और उमर के बीच विवाद शुरू हो गया. बाद में AK 47 को GMC अनंतनाग के लॉकर में छिपाया गया जो कि आदिल में नाम पर रजिस्टर था. बाद में एक और AK-47 मुफ्त में हासिल की गई, जिसे अलग-अलग जगहों पर रखा गया.
सितंबर 2024 में उमर आदिल से मिलने आया और उसने बताया कि उसने विदेशी यूनिवर्सिटी की थीसिस और रिसर्च पर आधारित पब्लिक डोमेन में मौजूद डाक्यूमेंट्स का सहारा लेकर विस्फोटक बना लिया है. उमर ने मुजम्मिल से 22 लाख रुपये लिए, जिसका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में होना था. 2025 में मुज़म्मिल और उमर के बीच फंड और हथियारों को लेकर गंभीर विवाद हुआ. इसके बाद सभी आपत्तिजनक सामग्री मुज़म्मिल के पास रखी गई. 31 अक्टूबर 2025 को आदिल छुट्टी खत्म कर सहारनपुर लौट गया. 5 नवंबर 2025 को उसे उसके कार्यस्थल से गिरफ्तार किया गया और श्रीनगर लाया गया.
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