
इन्दौर। भोपाल (Bhopal) का बीआरटीएस चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने पर मुख्यमंत्री की सहमति होने के बाद अब इंदौर के बीआरटीएस को लेकर भी कवायद शुरू हो गई है।
इस मामले में दो याचिकाएं हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं, जिन पर अंतिम बहस होना है। याचिकाकर्ता किशोर कोडवानी का कहना है कि भोपाल में लिए गए निर्णय का वह कानूनी बिंदुओं पर अध्ययन कर रहे हैं और इस आधार पर हाईकोर्ट में आवेदन लगाकर इंदौर का बीआरटीएस भी हटाए जाने का आग्रह करेंगे। उल्लेखनीय है कि उक्त दो जनहित याचिकाओं में से एक वर्ष 2013 में और दूसरी वर्ष 2015 में पेश की गई थी। इनमें कहा गया है कि शहर की मात्र दो प्रतिशत जनता के लिए सरकार ने 48 प्रतिशत सड़क पर बीआरटीएस बना रखा है। यह आम आदमी के समानता के अधिकार का हनन है। इस प्रोजेक्ट की वजह से जितने लोगों को फायदा पहुंच रहा है उससे कहीं ज्यादा लोग इसका नुकसान उठा रहे हैं। बीआरटीएस सड़क पर मात्र 2.3 प्रतिशत यात्री यात्रा कर रहे हैं, जबकि शेष सड़क पर 97.7 प्रतिशत यात्री यात्रा करने को मजबूर हैं। इस तरह 50 हजार यात्रियों की सुविधा के लिए 25 लाख लोगों को परेशानी झेलना पड़ रही है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि बीआरटीएस का मूल उद्देश्य ही पूरा नहीं हुआ है। इसका उद्देश्य निजी वाहनों की संख्या कम करना, सभी वर्गों के लिए लोक परिवहन उपलब्ध कराना, लोगों को वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराना था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
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