JIO ने हाई स्पीड 5G के लिए Nokia के साथ मिलाया हाथ, ये है पूरा प्लान

नई दिल्ली: रिलायंस जियो इन्फोकॉम इस सप्ताह हाई स्पीड 5G के लिए फिनलैंड की नोकिया कंपनी के साथ हाथ मिलाने जा रहा है. रिलायंस जियो इन्फोकॉम, नोकिया के साथ 5जी नेटवर्क डिवाइस खरीदने के लिए करीब 1.7 अरब डॉलर (13,980 करोड़ रुपए) के एग्रीमेंट पर जल्द ही साइन कर सकता है. अगर ये डील पूरी हो जाती है तो आने वाले कुछ सालों में देश के आम लोगों को 5G इंटरनेट की 10 गुना हाई स्पीड का फायदा मिलेगा. जियो ग्राहकों को हाई स्पीड इंटरनेट की बेहतर सुविधा देने के मकसद से ये प्लान तैयार किया है.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि हेलसिंकी के पास नोकिया के मुख्यालय में साइन होने की संभावना है, जहां रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम यूनिट और खरीद को फाइनेंस करने वाले बैंकों के सीनियर अधिकारी मौजूद रहेंगे. भारत का सबसे बड़ा दूरसंचार ऑपरेटर स्वीडन के एरिक्सन से खरीद रहा है, क्योंकि वह इस साल के अंत तक देश भर में 5जी मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने की योजना बना रहा है. जिससे लोगों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी.

एचएसबीसी, जेपी मॉर्गन और सिटीग्रुप कई वैश्विक बैंकों में से एक हैं, जो सिंडिकेटेड ऑफशोर लोन के माध्यम से नोकिया और एरिक्सन के साथ इन 5जी डिवाइस की डील को फाइनेंस करने के लिए जियो का समर्थन कर रहे हैं, जो कुल मिलाकर लगभग 4 अरब डॉलर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, Jio एरिक्सन 5G एग्रीमेंट के लिए लोन जुटाने के लिए बड़े विदेशी बैंकों से संपर्क कर रहा है.

स्टैंडअलोन मोड पर रोलआउट
मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी ने अगली पीढ़ी की कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी रोलआउट के लिए स्टैंडअलोन मोड का विकल्प चुना है. यह मौजूदा 4जी नेटवर्क पर निर्भर नहीं होगा. यह मुख्य रूप से नेटवर्क की डिप्लॉयमेंट के लिए एरिक्सन और नोकिया जैसे यूरोपीय वेंडर्स के साथ काम कर रहा है. यूरोपीय एक्सपोर्ट क्रेडिट एजेंसी फिनवेरा जियो को ऑफशोर लोन देने के लिए ग्लोबल लेंडर्स को गारंटी जारी करेगी. इस तरह की गारंटियों का उद्देश्य लेंडर्स के आराम के स्तर को बढ़ाना है और इससे कुल फंडिंग लागत में कमी आएगी.

5G कवरेज का तेजी से हो रहा विस्तार
रिलायंस जियो पिछले अक्टूबर से तेजी से अपने 5G कवरेज का विस्तार कर रहा है और 2023 के अंत तक इसे अखिल भारतीय स्तर पर लॉन्च करने का लक्ष्य बना रहा है. यह पहले ही 6,000 से अधिक शहरों और कस्बों में 5G सर्विस शुरू कर चुका है. कंपनी की योजना 25 अरब डॉलर का निवेश करने की है, जिसमें से 11 अरब डॉलर पिछले साल 5G स्पेक्ट्रम प्राप्त करने पर खर्च किए गए थे. शेष 14 अरब डॉलर का खर्च अगले चार वर्षों में नेटवर्क एसेट्स, ग्राहकों के लिए डिवाइसेस पर खर्च किया जाएगा.

एयरटेल की तुलना में बढ़ जाएंगी जियो की जरूरतें
विशेषज्ञों का कहना है कि भारती एयरटेल की तुलना में जियो की तत्काल 5जी पूंजीगत व्यय की जरूरतें बढ़ जाएंगी क्योंकि उसे अधिक बेस स्टेशनों में निवेश करना होगा जो कई 5जी बैंड – 3.5 गीगाहर्ट्ज और 700 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम दोनों पर काम करते हैं. एयरटेल को कम 5G बेस स्टेशनों में निवेश करना पड़ रहा है क्योंकि उसने अपने 5G रोलआउट के लिए नॉन-स्टैंडअलोन मोड का विकल्प चुना है.

एनएसए मोड मौजूदा 4जी मिड-बैंड एयरवेव्स (1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज) का उपयोग करता है, जो एयरटेल के पास पहले से ही पर्याप्त मात्रा में है, साथ ही तेज गति प्रदान करने के लिए सी-बैंड क्षमता 5जी स्पेक्ट्रम (3.5 गीगाहर्ट्ज) है. वहीं जियो के स्टैंडअलोन मोड को बेहतर 5G स्पेक्ट्रम माना जाता है, क्योंकि यह नेटवर्क स्लाइसिंग, कम देरी के उपयोग के मामलों, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और इनडोर मोबाइल ब्रॉडबैंड कवरेज जैसे यूज के लिए बेहतर है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि 5जी-स्टैंडअलोन मोड के लिए डिवाइस इकोसिस्टम को पूरी तरह से मैच्योर होने में कुछ और समय लगेगा.

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