नया खुलासा: Jupiter के बर्फीले चांद पर Oxygen से भरा समुद्र

बृहस्पति का चंद्रमा यूरोपा (Jupiter’s moon Europa) कुछ खगोलीय पिंडों (celestial bodies) में से एक है, जिसकी गहन जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह जीवन की मेजबानी कर सकता है या नहीं। यूरोपा, जो पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा छोटा है, अपनी जमी हुई सतह के नीचे एक महासागर छिपा रहा है। साक्ष्य इंगित करते हैं कि यह गर्म, नमकीन और जीवन-सक्षम रसायन शास्त्र में समृद्ध हो सकता है, जबकि यह ज्ञात है कि यूरोपा ऑक्सीजन उत्पन्न करता है जब बृहस्पति से सूर्य के प्रकाश और आवेशित कण चंद्रमा की सतह से टकराते हैं, जीवन के लिए उपसतह महासागर में एक घर खोजने के लिए, ऑक्सीजन को वहां पहुंचना पड़ता है, लेकिन एक समस्या है। सतह पर मोटी बर्फीली चादर ऑक्सीजन को उसके नीचे समुद्र तक पहुंचने से रोकती है।

बता दें कि नया शोध खुलासा हुआ है कि ऐसा हो सकता है, लेकिन बहुत अलग तरीके से। शोधकर्ताओं का कहना है कि चांद साधारण जीवन के लिए अपनी बर्फीली सतह के नीचे ऑक्सीजन खींच रहा है। वे कहते हैं खारे पानी के ताल में यूरोपा का बर्फीले खोल सतह से समुद्र तक ऑक्सीजन ले जा सकते हैं।


यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के प्रोफेसर मार्क हेसे के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से यह भी पता चलता है कि यूरोपा के महासागरों में ऑक्सीजन की मात्रा आज पृथ्वी के महासागरों में ऑक्सीजन की मात्रा के बराबर हो सकती है।
वैज्ञानिक यूरोपा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं। ऑक्सीजन का होना एक बड़ा सवाल है। जीवन के लिए सबसे ज़रूरी है पानी।यूरोपा की सतह पर पानी काफी मात्रा में है. पृथ्वी के महासागरों से तुलना करें तो वहां ज़्यादा पानी है। जमे हुए चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन भी है, जो जीवन की संभावना का एक और संकेत है। जब सूर्य की रोशनी और बृहस्पति के चार्ज कण चंद्रमा की सतह से टकराते हैं, तो ऑक्सीजन बनती है. लेकिन यूरोपा की बर्फ की मोटी चादर ऑक्सीजन और समुद्र के बीच बाधा डालती है। यूरोपा की सतह जमी हुई है, इसलिए किसी भी जीवन को इसके विशाल समुद्र में ही रहना होगा।


एक नई रिसर्च के मुताबिक, यूरोपा के बर्फीले खोल में मौजूद खारे पानी के पूल, सतह से समुद्र तक ऑक्सीजन ले जा सकते हैं। यह रिसर्च पेपर जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में पब्लिश किया गया है. इसके लेखक मार्क हेस्से हैं, जो यूटी जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेज के प्रोफेसर हैं।
शोधकर्ताओं के मॉडल से पता चलता है कि यूरोपा पर ऑक्सीजन से भरा समुद्र पृथ्वी के समान ही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बर्फ के नीचे जीवन हो सकता है? नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के वैज्ञानिक और इसके प्लैनेटरी इंटीरियर्स और जियोफिज़िक्स ग्रुप के सुपरवाइज़र स्टीवन वेंस ने कहा, ‘बर्फ के नीचे रहने वाले किसी भी रह के एरोबिक जीवों के बारे में सोचना भी रोमांचक है।

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