नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप (donald trump) के राष्ट्रपति पद के शपथ (presidential oath) लेने के बाद शेयर बाजार में ऐसा तूफान आएगा, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. निवेशकों के कारोबारी सत्र के दौरान 8.30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा डूब गए. खास बात तो ये है कि सेंसेक्स 75 हजार अंकों के लेवल पर आ गया. जबकि निफ्टी 23 हजार अंकों से नीचे दिखाई दिया. ट्रंप पॉलिसी और उसके बाद होने वाली अस्थिरता को देखते हुए शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली है. वहीं दूसरी ओर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी है. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और रियलटी स्टॉक्स की गिरावट भी शेयर बाजार में नुकसान का सबब बना है. तीसरी तिमाही के नतीजे कुछ अच्छे देखने को नहीं मिल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर जोमाटो और शेयर बाजार के हैविवेट शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. जिसका असर शेयर बाजार में साफ देखने को मिल रहा है.
जनवरी के महीने की बात करें तो शेयर बाजार में 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. जहां सेंसेक्स में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी जा चुकी है. जबकि निफ्टी में भी 2.80 फीसदी की देखने को मिल चुकी है. जानकारों की मानें तो शेयर बाजार में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है. ट्रंप के ऐलान अभी विस्तारित रूप में सामने नहीं आए हैं. जब वो सामने आएंगे उनका शेयर बाजार में जरूर देखने को मिलेगा. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर शेयर बाजार में किस तरह के देखने को मिल रहे हैं और निवेशकों को कितना नुकसान हो चुका है?
‘ट्रंप’नॉमिक्स का खौफ दुनिया के सभी शेयर बाजारों में देखने को मिल रहा है और आने वाले दिनों में भी देखने को मिल सकता है. आंकड़ों को देखें तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स कारोबारी सत्र के दौरान 1,431.57 अंकों तक नीचे आ गिरा और सेंसेक्स 75,641.87 अंकों के साथ करीब साढ़े 7 महीने के लोअर लेवल पर पहुंच गया. वैसे सेंसेक्स आज सुबह 77,261.72 अंकों के साथ हरे निशान पर ओपन हुआ था और 77,337.36 अंकों के साथ दिन के हाई पर भी पहुंच गया था. उसके बाद शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिली. जब शेयर बाजार बंद हुआ तो सेंसेक्स 1.60 फीसदी यानी 1,235.08 अंकों की गिरावट के साथ 75,838.36 अंकों पर दिखाई दिया.
दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी भी बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ है. आंकड़ों के अनुसार 320.10 अंकों की गिरावट के साथ 23,024.65 अंकों बंद हुआ. खास बात तो ये है कि कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी 367.9 अंकों की गिरावट के साथ 22,976.85 अंकों पर पहुंच गया. वैसे आज निफ्टी 23,421.65 अंकों पर ओपन हुआ था और जल्द ही 23,426.30 अंकों के साथ दिन के हाई पर पहुंच गया था. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में निफ्टी में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर काफी हैवी शेयरों में गिरावट देखने को मिली. टाटा ग्रुप के ट्रेंट कंपनी का शेयर 6 फीसदी टूटा. जबकि एनटीपीसी, अडानी पोर्ट के शेयर में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. देश का दूसरा सबसे बड़ा लेंडर आईसीआईसीआई बैंक और अडानी इंटरप्राइजेज के शेयर में 2.78 फीसदी की गिरावट देखी गई. अगर बात तेजी वाले शेयरों की करें तो अपोलो हॉस्पिटल के शेयर में 2.13 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. जबकि टाटा कंज्यूमर, बीपीसीएल के शेयर में 1 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है. श्रीराम फाइनेंस और जेएसडब्ल्यूस्टील का शेयर 0.50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर जोमाटो के शेयर में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. जबकि एसबीआई और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में ढाई फीसदी की गिरावट देखी गई. टेक महिंद्रा, बजाज फाइनेंस और महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. टीसीएस, इंडसइंड बैंक, टाटा स्टील, पॉवरग्रिड, टाटा मोटर्स के शेयर में एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. अल्ट्रा सीमेंट और एचसीएल टेक के शेयर मामूली इजाफे के साथ बंद हुए.
वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार निवेशकों को मोटा नुकसान हुआ. निवेशकों का नुकसान बीएसई के मार्केट कैप से जुड़ा हुआ होता है. आंकड़ों को देखें तो सोमवार को बीएसई का मार्केट कैप 4,31,59,726.15 करोड़ रुपए था, जो कारोबारी सत्र के दौरान शेयर बाजार साड़े 7 महीने के लोअर लेवल पर पहुंचा तो बीएसई का मार्केट कैप 4,23,28,860.11 करोड़ रुपए पर आ गया. इसका मतलब है कि बीएसई के मार्केट कैप को कारोबारी सत्र के दौरान 8,30,866.04 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा. वैसे बाजार बंद होने के बाद बीएसई का मार्केट कैप 4,24,24,951.62 करोड़ रुपए दिखाई दे रहा है.
टैरिफ बढ़ोतरी पर ट्रम्प का अप्रत्याशित रुख
ट्रेड टैरिफ पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अप्रत्याशित रुख के बाद बाजार ने सतर्कता दिखाई, निवेशक संभावित नीतिगत बदलावों से सावधान रहे. पड़ोसी देशों पर टैरिफ लगाने की उनकी हालिया टिप्पणी ने वैश्विक बाजार की धारणा को और अस्थिर कर दिया है. ट्रम्प का प्रशासन 1 फरवरी से मैक्सिको और कनाडा पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है, जिससे उनके उद्घाटन भाषण से शुरुआती आशावाद के बाद देरी की उम्मीदें कम हो गई हैं. इस अनिश्चितता ने महंगाई के दबाव, संभावित हॉट अमेरिकी इकोनॉमी और डॉलर की मजबूती के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं, जो बॉन्ड पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
जोमैटो और दिग्गज शेयरों में गिरावट
जोमैटो ने सेंसेक्स की गिरावट में 150 अंकों का योगदान दिया, दिसंबर तिमाही के शुद्ध लाभ में साल-दर-साल 57 फीसदी की गिरावट दर्ज करने के बाद इसके शेयरों में 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. रिलायंस, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई और एमएंडएम जैसे अन्य दिग्गज शेयरों ने सेंसेक्स की कुल गिरावट में संयुक्त रूप से 490 अंक का योगदान दिया.
कमाई में मंदी
तीसरी तिमाही में निफ्टी 50 कंपनियों का ईपीएस सालाना आधार पर सिर्फ 3 फीसदी बढ़ेगा. कैपिटल गुड्स, हेल्थ सर्विस और टेलीकॉम सेक्टर के पैट में डबल का इजाफा होने की उम्मीद है. InCred Equities ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि पिछड़े क्षेत्रों में धातु, रसायन, उपभोक्ता उत्पाद, बैंक और तेल एवं गैस होने की संभावना है. नतीजों का सीज़न कमजोर नोट पर शुरू हुआ है.
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और रियल्टी स्टॉक्स में गिरावट
निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स इंडेक्स 4 फीसदी गिर गया. तीसरी तिमाही के नतीजों के बाद डिक्सन टेक्नोलॉजीज के शेयरों में लगभग 14 फीसदी की गिरावट आई, जेफ़रीज़ ने अपनी ‘अंडरपरफॉर्म’ रेटिंग और 12,600 रुपए के टारगेट प्राइस को बनाए रखा, कमाई में गिरावट का हवाला दिया, लेकिन 106x के हाई FY26 P/E के कारण बढ़े हुए जोखिम-इनाम की चेतावनी दी. इस बीच, ओबेरॉय रियल्टी, लोढ़ा और प्रेस्टीज एस्टेट प्रोजेक्ट्स में गिरावट के कारण निफ्टी रियल्टी इंडेक्स 4.12 फीसदी गिर गया.
लगातार एफआईआई की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली से बाजार पर दबाव बना हुआ है. 20 जनवरी, 2025 तक, एफआईआई ने 48,023 करोड़ रुपये की इक्विटी बेच दी है, जिससे उनकी बिक्री की गति धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है.
बीते चार महीनों में शेयर बाजार में करीब 12 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. आंकड़ों के अनुसार 27 सितंबर को सेंसेक्स और निफ्टी रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गए थे. वहीं से दोनों में 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978.25 अंकों के साथ रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया था. तब से इसमें 10,139.89 अंक यानी 11.79 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. वहीं दूसरी ओर निफ्टी 27 सितंबर को 26,277.35 अंकों का रिकॉर्ड लेवल पर था. जिसमें अब तक 12.38 फीसदी यानी 3,252.7 अंकों की गिरावट देखने को मिल चुकी है.
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