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चीन में मुस्लिमों पर अत्याचार: जबरन नसबंदी, बलात्कार के मामले बढ़े, UN की रिपोर्ट में खुलासा

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार रिपोर्ट (UN human rights report) के अनुसार चीन (China) अपने शिनजियांग प्रांत (Xinjiang province) में मुस्लिमों के दमन (repression of muslims) से बाज नहीं आ रहा है। वह विश्व संस्था में आतंकवाद का परोक्ष रूप से हिमायती नजर आता है, वहीं, अपने देश में आतंकवाद के नाम पर मुस्लिमों का दमन कर रहा है। यूएन की चीन को लेकर जारी मानवाधिकार रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन आतंकवाद व उग्रवाद के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर अत्याचार कर रहा है। शिनजियांग में मुस्लिम महिलाओं से दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं तो पुरुषों की जबरन नसबंदी की जा रही है।

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार आयुक्त मिशेल बैचलेट ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 31 अगस्त को चीन में मानवाधिकारों को लेकर बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट जारी कर दी। हालांकि, चीन ने इसमें किए गए दावों को खारिज किया है।


संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट में चीन पर गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का दावा किया गया है। ये मानवता के खिलाफ अपराध हैं। चीन के सुदूर शिनजियांग प्रांत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों को लेकर आई 48 पेज की इस रिपोर्ट में उईगर मुस्लिमों के बड़ी संख्या में लापता होने का भी दावा किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उइगर और अन्य प्रमुख मुस्लिम जातियों के सदस्यों को मनमाने और भेदभावपूर्ण ढंग से हिरासत में रखने, व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से प्राप्त मौलिक अधिकारों का हनन मानवता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध है। रिपोर्ट के अनुसार उइगर मुस्लिमों को जबरन कैद कर के रखा गया है। वह अपने सुरक्षा कानूनों का मनमाने ढंग से अमल करते हुए अल्पसंख्यकों का दमन कर रहा है। बताया जाता है कि उइगर के बंदी शिविरों में 10 लाख लोग कैद हैं।

यह अंतरराष्ट्रीय अपराध है : यूएन
यूएन ने अपनी रिपोर्ट में चीन से अपील की है कि वह अवैध और मनमाने ढंग से कैद सभी उइगरों को तत्काल रिहा करे। अल्पसंख्यकों के खिलाफ कार्रवाई मानवता के खिलाफ अपराध होते हुए अंतरराष्ट्रीय अपराध जैसी है। यूएन की यह रिपोर्ट चीन के खिलाफ नए अंतरराष्ट्रीय दबाव के रूप में सामने आ सकती है।

गढ़ी हुई और गलत रिपोर्ट : चीन
चीन ने इस रिपोर्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह चीन विरोधी ताकतों द्वारा गढ़ी गई गलत सूचना और झूठ पर आधारित है। यह चीन को बदनाम करने वाली और देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाली है। चीन ने इससे पहले संयुक्त राष्ट्र से इस रिपोर्ट को जारी नहीं करने का आग्रह किया था। उसने इसे पश्चिमी देशों का तमाशा बताते हुए इसका विरोध किया था।

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