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सावधान! नॉन-शुगर स्वीटनर्स के इस्तेमाल से टाइप-2 डायबिटीज और हृदय रोगों का खतरा

नई दिल्ली (New Delhi)। अगर आप वजन कम करने (lose weight) या स्वस्थ रहने (staying healthy) के लिए चीनी (sugar) के बजाय किसी दूसरे गैर-चीनी युक्त (नॉन-शुगर स्वीटनर्स या एनएसएस) (Non-Sugar Sweeteners or NSS) विकल्प जैसे सैकरीन (saccharin), सुक्रालोज (sucralose) का उपयोग कर रहे हैं, तो सावधान हो जाएं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (World Health Organization (WHO)) ने कहा है कि इनका लंबे समय तक सेवन फायदे के बजाय मुसीबत को न्योता दे रहा है। वजन कम करने, स्वस्थ रहने, कम कैलोरी या फिर गैर-संचारी रोगों से बचाने के नाम पर बाजार में बेचे जा रहे ये विकल्प आपके लिए टाइप-2 डायबिटीज और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा रहे हैं।


डब्ल्यूएचओ के पोषण और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी टीम के निदेशक ब्रांका फ्रांसेस्को ने कहा, लोग अपने भोजन से चीनी को हटा देते हैं, पर मिठास से दूर नहीं रह पाते हैं। ऐसे लोग मिठास के लिए कोई नया तरीका निकाल लेते हैं। यह तरीका कृत्रिम मिठास है, जो उन्हें और नई परेशानियां दे सकती है।

प्राकृतिक शर्करा वाले भोजन पर जोर
डब्ल्यूएचओ की कृत्रिम मिठास को लेकर दी गई सलाह कई साक्ष्यों की समीक्षा के निष्कर्षों पर आधारित है। निदेशक ब्रांका फ्रांसेस्को कहते हैं कि लोगों को प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शर्करा युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए।

कई कंपनियां धड़ल्ले से कर रहीं इस्तेमाल, डिब्बा-बंद उत्पाद के कई खतरे
दरअसल, शर्करा के ज्यादा सेवन से अधिक कैलोरी का खतरा होता है, जो मोटापा, मधुमेह और हृदय संबंधी समस्याओं को जन्म देता है। इसलिए लोग अपने भोजन को चीनी मुक्त रखते हैं या कम कैलोरी का सेवन करते हैं।

इन लोगों के लिए कई खाद्य उद्योग अपने उत्पादों में चीनी के बजाय कम कैलोरी वाली कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह कृत्रिम मिठास खाद्य पदार्थ, डेयरी और चिकित्सीय उद्योगों के क्षेत्र में उपयोग की जा रही है। डिब्बा बंद भोजन और पेय पदार्थों में इनका अधिक इस्तेमाल किया जाता है।

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