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आजम खान को इन वजहों से मिली जमानत, बेल पर HC ने रखी यह शर्त

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी के नेता और सांसद मोहम्मद आजम खान को शत्रु संपत्ति के मामले में जमानत (Bail) दे दी। कोर्ट ने जिलाअधिकारी जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस में मौजूद शत्रु संपत्ति को कब्जे में लेकर दीवार और कंटीले (wall and barbed) तारों से घेरने को कहा है। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने कहा है कि यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद रामपुर डीएम के संतुष्ट होने पर अंतरिम जमानत को रेग्युलर बेल में बदला जा सकता है। शत्रु संपत्ति केस में राहत के बावजूद आजम खान के जेल से बाहर आने पर सस्पेंस बरकरार है, लेकिन यदि वह जेल से बाहर भी आते हैं तो देश से बाहर नहीं जा सकते हैं। हाई कोर्ट ने उन्हें पासपोर्ट जमा कराने को कहा है।



गौरतलब है कि विवादित जमान इमामुद्दीन कुरैशी पुत्र बदरुद्दीन कुरैशी की थी, जो लखनऊ(Lucknow) के निवासी थे और देश के विभाजन के बाद भारतीय नागरिकता छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। 1950 में बने इवेक्यूइ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत राज्य को इस जमीन का कस्टोडियन बनाया गया। 13.842 एकड़ की यह विवादित भूमि रामपुर जिले की तहसील सदर स्थित सिंघन खेड़ा गांव में है।

आजम खान की ओर से पेश हुए वकील इमरान उल्लाह (Advocate Imran Ullah) ने दलील दी कि विवादित जमीन पर कोई निर्माण नहीं किया गया है। यह खाली पड़ा हुआ था और यूनिवर्सिटी की जमीन से घिरा हुआ था। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर किन परिस्थितियों में इस जमीन को यूनिवर्सिटी कैंपस में घेर लिया गया। इमरान उल्लाह ने कहा कि इससे जुड़ी जमीनों को यूनिवर्सिटी/ट्रस्ट की ओर से खरीद लिया गया था और इसलिए जमीन पर अधिकार के बिना भी इसे घेर लिया गया था।

कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा, ”जमानत किसी भी आरोपी का अधिकार है और जेल अपवाद है, इसलिए मानवीय आधार पर यह कोर्ट आवदेक के गिरते स्वास्थ्य, अधिक उम्र और जेल में बिताए समय को ध्यान में रखकर जमानत दे रहा है और कुछ शर्तें लगा रहा है।” कोर्ट ने आजम खान को पासपोर्ट सरेंडर करने को कहा है और ट्रायल के दौरान बेवजह स्थगन की मांग ना करने को कहा है।

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