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दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान में कोरोना संक्रमित शवों को दफनाने की जगह खत्म


नई दिल्ली। दिल्ली (Delhi) में कोरोना संक्रमण (Corona infection) से हो रही मौतों की संख्या बढ़ने के साथ दिल्ली के आईटीओ स्थित सबसे बड़े कब्रिस्तान (Largest Cemetery) जदीद अहले इसलाम में शवों (Dead Bodies) को दफन करने (Burial) की जगह नहीं बची है (No Space left) । कब्रिस्तान की ओर से अस्पतालों और परिजनों को शवों को इस कब्रिस्तान न भेजने के लिए कहा जा रहा है।


कब्रिस्तान के सुपरवाइजर शमीम के मुताबिक, बुधवार को उनके पास अस्पतालों से शवों को दफनाने के लिए कई फोन आये लेकिन जगह की कमी के कारण उन्हें मना करना पड़ा। शमीम के मुताबिक, अब तक 6 से 7 शवों को मना किया जा चुका है क्योंकि उनके पास शवों को दफन करने की जगह नहीं बची है।दरअसल कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के जदीद अहले कब्रिस्तान में करीब 1400 शवों को दफनाया गया, हालांकि अब कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गई है।

मंगलवार को भी दिल्ली में कोरोना के करीब 21 हजार मामले सामने आए और 23 लोगों की मृत्यु हुई। कब्रिस्तान जदीद अहले इसलाम कमेटी के सचिव शमी अहमद खान ने आईएएनएस को बताया, हमारे कब्रिस्तान में अब तक करीब 1400 शवों को दफनाया जा चुका है, पहली और दूसरी लहर के दौरान हमारे पास जगह थी, लेकिन अब हमारे पूरी जगह भर चुकी है। एक अस्पताल से हमारे पास शव को दफनाने के लिए फोन आया लेकिन हमें उन्हें मना करना पड़ा।

उन्होंने कहा, सरकार ने दिल्ली में 4 कब्रिस्तान में संक्रमित शवों को दफनाने की इजाजत दी थी। हम अब भी अपना सहयोग देने को तैयार हैं, हमारे पास एक अन्य जगह पर 4 एकड़ की जमीन है उसमें हम शवों को दफनाने की इजाजत दे सकते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन उसमें अड़चन डाल रहा है।

दरअसल कब्रिस्तान के रखरखाव करने वालों के अनुसार, कब्रिस्तान की जमीन को एक समय अनुसार बराबर किया जाता है यानी एक शव के कब्र की जगह पर कुछ सालों बाद दूसरे शव को दफनाया जा सकता है, वहीं कब्रिस्तान में संक्रमित शवों के लिए जो जगह निर्धारित है, उधर वो ऐसा नहीं कर पा रहे क्योंकि संक्रमण फैलने का डर बना हुआ है।

कब्रिस्तान के केयरटेकर शमीम ने आईएएनएस को बताया, हमारे पास बीते तीन दिनों से शवों को दफनाने के लिए फोन आ रहें हैं, लेकिन हमने उनको मंगोलपुरी और द्वारका स्थित कब्रिस्तान से संपर्क करने को कह दिया है। हमारी एक अन्य जगह पर 4 एकड़ की जमीन है लेकिन स्थानीय प्रशासन ने मना कर दिया था, यदि अभी भी हमें वो जगह मिल जाये तो उधर शवों को दफना सकते हैं। फिलहाल कब्रिस्तान की कमेटी जमीन को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है।जानकारी के अनुसार, दिल्ली में मंगोलपुरी स्थित 2 एकड़ में फैला मुस्लिम कब्रिस्तान, शास्त्री पार्क स्थित बुलंद मस्जिद मुस्लिम कब्रिस्तान (1 एकड़), कोंडली के पास मुल्ला कॉलोनी मुस्लिम कब्रिस्तान (ढ़ाई एकड़) में भी शव दफनाए जाते हैं।

दिल्ली में पहली और दूसरी लहर के दौरान हालात खूब बिगड़े थे, लेकिन मौजूदा वक्त में संक्रमण से होनी वाली मृत्यु की संख्या बेहद कम  हैं।निगम बोध शमशान घाट के पंडित योगेश के मुताबिक, अभी पहले जैसे हालात नहीं है, लेकिन हम अपनी तैयारियाँ कर रहें हैं ताकि पिछली बार की तरह अफरा तफरी न हो। हम एक कांउन्टर अलग बना रहे है जिसमें संक्रमित शवों का ही रजिस्ट्रेशन होगा। हमारे पास अंतिम संस्कार करने के लिए 6 सीएनजी पंप है जिसमें डेढ़ घंटे में एक शव का संस्कार हो सकता है।गाजीपुर स्थित शमशान घाट के पंडित सुनील शर्मा ने बताया, इस महीने में संक्रमित मरीजों के शव ज्यादा नहीं आये हैं। अभी सब कुछ सामान्य स्थिति में हैं, लेकिन यदि हालात बिगड़ते हैं तो हमें मजबूरन टेम्प्रेरी चिताएं बनानी पड़ेंगी।

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