img-fluid

नहाए खाए के साथ छठ पर्व आज से शुरू, जानें सूर्य देव और छठी मैया की पूजन विधि

October 25, 2025

नई दिल्ली. छठ महापर्व (Chhath festival) आज से शुरू हो चुका है. इस महापर्व में सूर्य देव (Sun god) और छठी मैया (Chhathi Maiya) की पूजा का विधान है. छठ का व्रत महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं. इस साल छठ पूजा आज 25 अक्टूबर, शनिवार से शुरू हो गई है, और यह 28 अक्टूबर, मंगलवार को समाप्त होगी. प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, इसलिए सूर्यदेव की विशेष उपासना की जाती है. वहीं छठी मैया को संतान, समृद्धि और परिवार की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है.

नहाए-खाए छठ महापर्व के पहले दिन की विधि होती है, जिसमें व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए इस प्रक्रिया का पालन करते हैं.


नहाय-खाय की विधि
व्रती प्रातः काल गंगा, नदी, तालाब या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करते हैं. स्नान के बाद व्रती शुद्ध, सादा और साफ वस्त्र पहनते हैं. स्नान के बाद रसोई और पूजा स्थल को साफ किया जाता है. माना जाता है कि छठी मैया स्वच्छता और पवित्रता की प्रतीक हैं, इसलिए किसी भी तरह की अशुद्धि नहीं होनी चाहिए. इस दिन व्रती एक बार ही भोजन करते हैं, जिसे “नहाय-खाय का प्रसाद” कहा जाता है. खाना कांसे या पीतल के बर्तन में और मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है. खाना बनाने में आम की लकड़ी या गोबर के उपले का उपयोग किया जाता है क्योंकि इन्हें सात्विक और शुद्ध माना जाता है. भोजन में आमतौर पर कद्दू की सब्जी, चने की दाल और सादा चावल बनाया जाता है. नहाय-खाय के दिन ही व्रती छठ व्रत का संकल्प लेते हैं और आने वाले तीन दिनों तक शुद्धता, संयम और भक्ति का पालन करते हैं.

खरना व्रत
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. इसे लोहंडा या खरना व्रत भी कहा जाता है. इस दिन व्रती पूरे दिन बिना अन्न और जल के उपवास रखते हैं, और शाम को विशेष विधि से प्रसाद बनाकर छठी मैया को अर्पित करते हैं.

संध्या अर्घ्य
छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे विशेष और भव्य माना जाता है. इसे “संध्या अर्घ्य” या “संध्या घाट पूजा” कहा जाता है. इस दिन व्रती शाम के समय अस्त होते सूर्य (अस्ताचलगामी सूर्य) को अर्घ्य देते हैं.

सूर्योदय अर्घ्य
छठ पूजा का चौथा दिन इस महापर्व का अंतिम और सबसे पावन दिन होता है. इसे “उषा अर्घ्य”, “भोर का अर्घ्य” या “सूर्योदय अर्घ्य” कहा जाता है. इस दिन व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन करते हैं.

Share:

  • MP: शादी में अनोखी परंपरा.... यहां मंडप में बैठकर भात खाता है दूल्हा, महिलाएं देती हैं उसे गालियां

    Sat Oct 25 , 2025
    रीवा। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विन्ध्य क्षेत्र (Vindhya Region) में विवाह की एक अनोखी रस्म (Unique Ritual) होती है जिसे “कलेवा” कहा जाता है. इस रस्म में विवाह के बाद दूल्हा (Groom) व्याहा भात (खाना) खाता है, और इसके दौरान महिलाएं उसे गालियां देती हैं, जिसे कलेवा गारी कहा जाता है. यह रस्म न […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved