
नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice of India- CJI) बीआर गवई (BR Gawai) ने शनिवार को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का स्मरण किया और जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर (Manipur Ethnic Violence) के चुराचांदपुर में एक राहत शिविर में बिताए अपने अनुभव को याद करते हुए न्याय को कुछ लोगों का विशेषाधिकार न बताते हुए प्रत्येक नागरिक का अधिकार बताया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत करने पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन को संबोधित करते हुए, सीजेआई गवई ने साथी न्यायाधीशों, वकीलों और कानूनी अधिकारियों से समाज में हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
सीजेआई गवई ने कहा, ”एक घटना मेरे जेहन में हमेशा के लिए बस गई है। कुछ महीने पहले, जब मैं नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष था, तो अपने साथियों के साथ मणिपुर के चुराचांदपुर में एक राहत शिविर में राहत सामग्री बांटने गया था। एक बुज़ुर्ग महिला आगे आईं और हाथ जोड़कर, आंखों में आंसू लिए, मुझसे कहा, ‘बने रहो भैया।’ मेरे लिए, वह पल एक याद दिलाने वाला था कि विधिक सेवा आंदोलन का असली इनाम आंकड़ों या वार्षिक रिपोर्टों में नहीं है। यह उन नागरिकों की शांत कृतज्ञता और नए सिरे से विश्वास में है, जो कभी खुद को अदृश्य महसूस करते थे। दूसरे शब्दों में, हमारी सफलता का असली पैमाना आंकड़ों में नहीं, बल्कि आम आदमी के भरोसे में है, इस विश्वास में है कि कोई न कोई, कहीं न कहीं, उनके साथ खड़ा होने को तैयार है।”
उन्होंने कहा, “जब भी हम संशय में हों, हमें अपने जीवन में देखे गए सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति का चेहरा याद करना चाहिए, और खुद से पूछना चाहिए कि क्या हम जो कदम उठाने जा रहे हैं, वह उनके किसी काम आएगा।” मेरे लिए, यह विचार कानूनी सहायता आंदोलन और हमारी कानूनी सेवा संस्थाओं के कार्यों में अपनी सच्ची अभिव्यक्ति पाता है।” उन्होंने आगे कहा, ”यह हमें याद दिलाता है कि न्याय केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। और न्यायाधीशों, वकीलों और न्यायालय के अधिकारियों के रूप में हमारी भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि न्याय का प्रकाश समाज के हाशिये पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक भी पहुंच सके।”
जस्टिस गवई ने आगे कहा, “यह उन नागरिकों की शांत कृतज्ञता और नए सिरे से विश्वास में निहित है जो कभी खुद को अदृश्य महसूस करते थे। दूसरे शब्दों में, हमारी सफलता का असली पैमाना संख्या में नहीं, बल्कि आम आदमी के भरोसे में है, इस विश्वास में कि कोई न कोई, कहीं न कहीं, उनके साथ खड़ा होने को तैयार है।” बता दें कि मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने मार्च 2025 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा किया। उन्होंने मणिपुर के सभी जिलों में विधिक सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों के साथ-साथ इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और उखरूल जिलों में नए विधिक सहायता क्लीनिकों का उद्घाटन किया था।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved