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बंगाल में केंद्रीय योजना में धांधली के आरोप पर टकराव, केंद्र की रिपोर्ट पर ममता सरकार को ऐतराज

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री सड़क योजना के आवंटन के बावजूद सौ दिन के काम का पैसा अभी तक बंद है. प्रधानमंत्री आवास योजना की स्वीकृति के बावजूद इसका आवंटन अब तक अटका हुआ है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस स्थिति में राज्य का दौरा करने वाली केंद्रीय टीम की रिपोर्ट राज्य को भेज दी है, लेकिन ममता बनर्जी सरकार इसे मानने के लिए तैयार नहीं है. इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच फिर से टकराव बढ़ने के आसार हैं.

प्रशासन के मुताबिक रिपोर्ट के मद्देनजर मंत्रालय ने अनुशंसा की है कि सांसदों को केंद्र पोषित परियोजनाओं में शामिल किया जाए और रिपोर्ट में पाई गई कमियों के संबंध में उचित कार्रवाई की जाए.

सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय टीम की रिपोर्ट में बड़ी रकम के लिए तीन केंद्रीय योजनाओं- प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधान मंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और 100-दिवसीय कार्य समीक्षा सारांश का उल्लेख नहीं किया गया है. केंद्र के लिखित संदेश में कहा गया है कि बीजेपी सांसदों ने पहले सीएजी (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) और केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा केंद्रीय परियोजनाओं की कामकाजी स्थिति का ऑडिट करने की मांग उठाई थी.


बता दें कि पिछले शुक्रवार को केंद्रीय पंचायत राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने भी कहा था, “हमारे मंत्री यहां सभी सर्वेक्षण पूरे होने के बाद ही पैसा देंगे.” हालांकि, राज्य का विरोध यह है कि केंद्रीय दल की प्रासंगिक रिपोर्ट वस्तुतः ‘अहानिकर’ है. हालांकि, इसका उपयोग बल द्वारा राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है. गरीब उपभोक्ताओं को खतरे की ओर धकेला जा रहा है.

पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार के शब्दों में, ”शासन स्तर पर इस पर चर्चा की जाएगी. लेकिन क्या इन सभी नियमों का पालन सभी राज्यों में हो रहा है या सिर्फ इसी राज्य के लिए? इस सब के पीछे राजनीतिक मंशा इस बार उपभोक्ताओं को समझानी होगी.”

बता दें कि अगस्त 2021 में बीजेपी के 20 सांसदों ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि राज्य के शासक-नेताओं ने राज्य में ठेकेदारों-इंजीनियरों की मिलीभगत से पैसा खर्च किया है और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के काम में बीजेपी सांसदों को शामिल नहीं किया गया है.

राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी (NRIDA) ने शिकायत को ‘बहुत गंभीर’ बताते हुए मामला उठाया था. उसके आधार पर केंद्रीय टीम ने पिछले साल की शुरुआत में राज्य का दौरा किया और मई में केंद्र को एक रिपोर्ट दी. मंत्रालय ने राज्य को रिपोर्ट भेज दी है और ‘कमी’ को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है.

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