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तेलंगाना चुनाव में BSP की एंट्री से घबराई कांग्रेस, दलित वोट पर हुई अलर्ट, भाजपा होगा फायदा

हैदराबाद (Hyderabad) । तेलंगाना विधानसभा चुनाव (Telangana Assembly Elections) में बहुजन समाजवादी पार्टी (Bahujan Samajwadi Party) की एंट्री कांग्रेस (Congress) की चिंता बढ़ाती हुई नजर आ रही है। खबर है कि मायावती (mayawati) के बढ़ते कदमों के साथ ही कांग्रेस ने दलितों और अन्य पिछड़ा वर्गों यानी OBCs पर ध्यान लगाने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि मायावती के तेलंगाना में कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी का हाथ होने का शक भी है। बहरहाल, पार्टी कर्नाटक के बाद एक और दक्षिण भारतीय राज्य में जीत की कोशिश कर रही है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछड़ा समुदाय के समर्थन में सेंध से बचने के लिए तेलंगाना में कांग्रेस कर्नाटक जैसा घोषणापत्र जारी कर सकती है। कांग्रेस के तेलंगाना प्रभारी मणिकराव ठाकरे का कहना है, ‘हमारे घोषणापत्र की गारंटी में खासतौर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों पर जोर होगा। इसी के तहत हमारे कार्यक्रम भी तय किए जाएंगे। हमारा फोकस आंबेडकर पर होगा।’


भाजपा का एंगल
रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस को शक है कि तेलंगाना में मायावती की तैयारियों के पीछे भाजपा का हाथ है। साथ ही कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि बसपा के तेलंगाना आने की दो वजहें हो सकती हैं। पहला, यह कांग्रेस के साथ दलितों के जुड़ने को प्रभावित कर सकती है। दूसरा, इसकी एंट्री से चुनाव केवल मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति बनाम कांग्रेस नहीं रह जाएगा। ऐसे में अगर वोट टूटते हैं, तो कुछ फायदा भाजपा को भी हो सकता है।

मायावती ने केसीआर को घेरा
मई की शुरुआत में हैदराबाद पहुंचीं मायावती ने आनंद मोहन सिंह की रिहाई के मामले में केसीआर की चुप्पी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, ‘तेलंगाना के IAS अधिकारी की बिहार में हत्या करने वाले को जब बिहार सरकार जेल से रिहा करती है, तो तेलंगाना सीएम एक शब्द भी नहीं कहते हैं।’ बसपा सुप्रीमो ने राज्य में पूर्व आईपीएस आरएस प्रवीण कुमार को सीएम चेहरा घोषित किया है।

कांग्रेस की तैयारी
इधर, कांग्रेस दलितों को साधने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रभाव का फायदा उठाने की कोशिश में है। खड़गे ने भी हैदराबाद में बीआरएस पर हमलावर होने के लिए आंबेडकर जयंती को चुना था। दरअसल, उस दौरान राव आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने वाले थे और इसके जवाब में कांग्रेस ने अपना कार्यक्रम तय किया था।

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