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Western Railway के दाहोद कारखाने का नाम बदलकर रखा गया “रोलिंग स्टॉक कारखाना”

पहले के “लोको कैरिज एंड वैगन कारखाना” का नाम बदलकर अब “रोलिंग स्टॉक कारखाना, दाहोद” कर दिया गया है, जो इन तस्वीरों में नज़र आ रहा है।
  • पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक द्वारा हुआ ई-उद्घाटन

मुंबई। पश्चिम रेलवे (Western Railway) के महाप्रबंधक आलोक कंसल (General Manager Alok Kansal) ने हाल ही में वीडियो लिंक के माध्यम से दाहोद कारखाने (Dahod factory) के नये नामकरण का उद्घाटन किया, जिसके फलस्वरूप “लोको कैरिज एंड वैगन कारखाना, दाहोद का नाम बदलकर अब “रोलिंग स्टॉक वर्कशॉप, दाहोद कर दिया गया है। इस अवसर पर वीडियो लिंक के माध्यम से पश्चिम रेलवे के प्रमुख विभागाध्यक्ष, रतलाम डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक तथा दाहोद कारखाने के मुख्य कारखाना प्रबंधक के साथ वरिष्ठ अधिकारी, मान्यता प्राप्त यूनियनों और एसोसिएशनों के प्रतिनिधि भी समारोह में शामिल हुए।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी सुमित ठाकुर (Chief Public Relations Officer Sumit Thakur) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार हाल ही में महाप्रबंधक कंसल (General Manager Kansal) ने इस कारखाने का निरीक्षण किया था और  उस दौरान उन्होंने पाया कि इस कारखाने में सभी प्रकार के रोलिंग स्टॉक (Rolling Stock) का ओवरहॉलिंग किया जाता है, जबकि पुराने ज़माने में यहाँ केवल लोको, कैरिज और वैगन का ओवरहॉलिंग होता था। इसलिए इस कारखाने का नाम बदलकर “रोलिंग स्टॉक कारखाना, दाहोद करने की आवश्यकता महसूस की गई। वर्तमान में इस कारखाने में वैगन, लोकोमोटिव, मेमू, डेमू और टॉवर कारों की आवधिक ओवरहॉलिंग के अलावा लोकोमोटिव का मिड टर्म रीहैबिलिटेशन और टॉवर कार की असेंबली सुनिश्चित की जाती है। यह वर्कशॉप वैगन आवधिक ओवरहॉलिंग के लिए पश्चिम रेलवे पर सबसे बड़ा कारखाना होने का गौरव रखता है। वर्तमान परिदृश्य में, दाहोद वर्कशॉप भारतीय रेलवे पर ऐसा एकमात्र कारखाना है, जो विद्युत इंजनों का मध्यावधि पुनर्वास यानी मिड टर्म रीहैबिलिटेशन (एमटीआर) करता है। यह कारखाना अच्छी तरह से अपने स्वयं के जल स्रोतों से सुसज्जित है और यहाँ लगभग सभी प्रकार के रोलिंग स्टॉक की मरम्मत की जाती है। दाहोद कारखाने का एक दिलचस्प इतिहास है, जब यहॉं बॉम्बे, बरोड़ा एन्ड सेंट्रल इंडिया रेलवे के ज़माने में भाप इंजनों का रख-रखाव किया जाता था।


14 जनवरी, 1926 को लोकोमोटिव वर्कशॉप की आधारशिला रखी गई थी और इस प्रतिष्ठित वर्कशॉप के निर्माण को पूरा करने में लगभग चार साल लगे। उल्लेखनीय है कि यह कारखाना 1931 से निरंतर कार्यरत है। महाप्रबंधक आलोक कंसल ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह कारखाना अपने आप में एक चमत्कार है, क्योंकि यह टॉवर कारों का निर्माण करने वाली एकमात्र क्षेत्रीय कार्यशाला है, जो रेलवे के विद्युतीकरण के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कंसल ने बताया कि भारत में यह कारखाना ही एकमात्र ऐसी जगह है, जहाँ आरपीएफ के हथियारों की मरम्मत की जाती है। उन्होंने इस अनूठे वर्कशॉप की समूची टीम को उनकी कड़ी मेहनत और उत्साह के लिए बधाई दी और कहा कि कारखाने के नये नाम के अनुरूप भारतीय रेलवे पर शुरू किये जाने वाले सभी नये प्रकार के रोलिंग स्टॉक का अनुरक्षण इस वर्कशॉप में नवीनतम चुनौतियों के साथ निरंतर जारी रहेगा।

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