विदेश

जी-7 के इस फैसले के बाद भारत और चीन को और सस्ता तेल बेचेगा रूस !

नई दिल्‍ली । ग्रुप ऑफ सेवन (G-7) देशों ने भारत और चीन (India and China) से रूसी तेल (Russian oil) को और अधिक कम कीमतों पर खरीदने को लेकर सकारात्मक बातचीत की है. ये देश चाहते हैं कि भारत और चीन कम से कम कीमतों पर रूसी तेल की खरीद करें ताकि रूस को आर्थिक नुकसान (economic loss) हो. जी-7 देशों ने मिलकर फैसला किया है कि वो रूसी तेल की एक न्यूनतम कीमत निर्धारित करेंगे. उस निर्धारित कीमत से अधिक पर अगर कोई देश तेल खरीदता है तो उसका परिवहन प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.

प्रति बैरल रूसी तेल की कोई न्यूनतम कीमत नहीं निर्धारित की गई है. जी-7 देशों का कहना है कि रूसी तेल की कीमत उतनी ही रखी जाएगी जिससे रूस को अपना तेल उत्पादन न बंद करना पड़े.


यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर पहले ही कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत जहां 110-120 डॉलर प्रति बैरल है वहीं, रूसी क्रूड तेल को इस कीमत से 30-40 डॉलर प्रति बैरल के डिस्काउंट वाली कीमत पर बेचा जा रहा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, मामले से परिचित एक सूत्र ने बताया कि जी-7 के नेताओं ने मंगलवार को रूस पर और अधिक प्रतिबंध लगाने पर सहमति व्यक्त की. संगठन ने फैसला किया है कि एक निश्चित कीमत से ऊपर अगर रूसी तेल खरीदा जाता है तो उसके परिवहन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा.

यूरोपीय संघ इस साल के अंत तक यूरोपीय बाजार में रूसी तेल की आपूर्ति को बिल्कुल बंद कर देगा. इस बीच अमेरिकी ट्रिजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन ने रूसी तेल की कम कीमतों पर खरीद की वकालत की. उन्होंने तेल की आपूर्ति को बाधित किए बिना रूस को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने की योजना पर जोर दिया.

सूत्र ने बताया कि G-7 देशों की सरकारें अभी ये निर्धारित कर रही हैं कि अगर कोई देश रूस से निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर तेल खरीदता है तो कौन-कौन सी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.

पश्चिम के इस प्रतिबंध से होगा भारत और चीन को लाभ
पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भी भारत और चीन आदि देश रूस से रियायती दरों पर भारी मात्रा में तेल की खरीद कर रहे हैं. अगर पश्चिमी देश रूस पर न्यूनतम तेल कीमतों से जुड़ा प्रतिबंध लगाते हैं तो इससे सबसे अधिक फायदा भारत और चीन को होगा. भारत और चीन जो कि पहले से ही रूस से कम कीमत पर कच्चा तेल खरीद रहे हैं, वो रूस से और अधिक कम कीमत पर कच्चा तेल खरीद सकेंगे.

रूस के पास पश्चिमी देशों द्वारा निर्धारित तेल की कीमत पर अपना तेल बेचने के अलावा कोई चारा भी नहीं बचेगा. भारत और चीन फिलहाल उसके सबसे बड़े तेल खरीददारों में से एक हैं, ऐसे में उसे निर्धारित कम कीमतों पर ही दोनों देशों को तेल बेचना पड़ेगा.

सूत्रों ने कहा कि रूस के पास पहले ही तेल की भंडारण क्षमता कम है. ऐसी स्थिति में उसे अपना तेल उत्पादन रोकना भी पड़ सकता है जिससे उसकी नकदी में कमी आएगी और उसके एनर्जी सेक्टर को नुकसान पहुंचेगा.

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