इंदौर न्यूज़ (Indore News)

प्राधिकरण की जमीनों का भी लुटेरा रहा दीपक मद्दा

 


– योजना 140 से लेकर कर्मचारी गृह निर्माण सहित कई अनुबंधित संस्थाओं में दिखाता रहा खेल

– अयोध्यापुरी व हिना पैलेस की रजिस्ट्रियां निरस्त कराने में जुटा प्रशासन

इंदौर। कुख्यात भूमाफिया (Bhumafia) दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दा (Deepak Madda) के खिलाफ रासुका की कार्रवाई भी कलेक्टर ने कर दी। वहीं दीपक मद्दा कई गृह निर्माण संस्थाओं (Housing Institutions) के साथ-साथ प्राधिकरण की योजनाओं में शामिल और अनुबंधित संस्थाओं की जमीनों का भी लुटेरा रहा है। योजना 140, 171 से लेकर अन्य योजनाओं में शामिल जमीनों को भी सुनियोजित तरीके से अपने कब्जे में करने के खेल में शामिल रहा और कई जमीनों पर तो पॉवर ऑफ अटार्नी लेकर प्राधिकरण (Authority) में आवेदन लगा दिए। कर्मचारी गृह निर्माण के 88 भूखंडों को सालों से कबाडऩे के प्रयास किए जाते रहे। पिछले दिनों भी हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर फिर से प्राधिकरण पर दबाव बनाना शुरू किया। वहीं योजना 140 में तो 500 करोड़ रुपए से अधिक के भूखंडों पर डकैती डालने के प्लान को लगभग अंजाम ही दे दिया था, मगर अग्निबाण ने पूरे मामले का भंडाफोड़ कर दीपक मद्दा की लूट को बेनकाब कर दिया और प्राधिकरण के अधिकारी बोर्ड के संगनमत होने के बावजूद यह खेल नहीं हो सका।


गृह निर्माण संस्थाओं पर कब्जा जमाने वाले भूमाफियाओं के खिलाफ पुलिस-प्रशासन ने मुहिम शुरू की है। दीपक मद्दे सहित सुरेन्द्र-प्रतीक संघवी और 18 के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई। इतना ही नहीं, कलेक्टर मनीष सिंह ने कल दीपक मद्दा को रासुका में भी निरुद्ध करने का आदेश जारी कर दिया। वहीं पुलिस ने फरार आरोपियों पर 10-10 हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया है। गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों पर तो दीपक जैन ने डाके डाले ही और कई जमीनों को अपने नाम करवाने के साथ-साथ पत्नी के नाम से बनाई समता कंस्ट्रक्शन और अन्य फर्मों में भी उतार लिया। इतना ही नहीं, इंदौर विकास प्राधिकरण को भी चूना लगाने में दीपक मद्दा पीछे नहीं रहा। कुछ वर्ष पूर्व प्राधिकरण में काबिज भाजपा के राजनीतिक बोर्ड के पदाधिकारियों के साथ सांठगांठ कर योजना 140 में रिजर्व में रखे सैकड़ों भूखंडों की लूट का प्लान बना डाला। दरअसल, प्राधिकरण ने इन योजनाओं में शामिल कई संस्थाओं के साथ सालों पहले संकल्प 9 और अन्य के तहत अनुबंध किए। वहीं नकद मुआवजा देने के बदले 20 प्रतिशत विकसित भूखंड के भी अनुबंध कुछ संस्थाओं के साथ किए, मगर योजना 140 में चूंकि प्राधिकरण के पक्ष में कलेक्टर कार्यालय से अवॉर्ड पारित हो चुका था, बावजूद इसके दीपक मद्दा ने 20 प्रतिशत विकसित भूखंड पाने का प्लान बनाया और एक भू-धारक नानूराम जामले की याचिका को आधार बनाकर उसकी पॉवर ऑफ अटार्नी ले ली और 20 प्रतिशत विकसित भूखंड, जो 500 करोड़ रुपए मूल्य के होते हैं, कबाडऩे के प्रयास किए। लेकिन अग्निबाण ने दीपक मद्दा के इस पूरे खेल का भंडाफोड़ कर दिया और लाख चाहकर भी प्राधिकरण के अधिकारी और राजनीतिक बोर्ड के पदाधिकारी उसे भूखंड नहीं दे पाए, लेकिन कर्मचारी गृह निर्माण से लेकर योजना 171 में शामिल मजदूर पंचायत सहित संस्थाओं की जमीनों में भी सालों से दीपक मद्दा सुनियोजित खेल करता रहा है। कर्मचारी गृह निर्माण संस्था में 88 भूखंडों को फिर से कबाडऩे के प्रयास पिछले दिनों शुरू किए गए, जिसके चलते प्राधिकरण की ओर से सहकारिता विभाग को पत्र भी लिखा गया, जिसमें कर्मचारी गृह निर्माण संस्था की नए सिरे से वरीयता सूची बनाने को कहा गया। यह भी उल्लेखनीय है कि कर्मचारी गृह निर्माण में 80 से अधिक फर्जी सदस्यों को बनाकर भूखंड आवंटन करवाने का षड्यंत्र दीपक मद्दा रचता रहा, जिसकी शिकायत लोकायुक्त में भी की गई थी।


मनीष सिंह ने ही ली थी लिखित में आपत्ति
अग्निबाण ने जब योजना 140 के बेशकीमती भूखंडों पर दीपक मद्दा द्वारा डाली जाने वाली डकैती का भंडाफोड़ किया तो तत्कालीन कलेक्टर पी. नरहरि (P. Narhari) ने जहां इस प्रकरण से संबंधित फाइलों की जांच करने की बात कही, वहीं तत्कालीन निगमायुक्त और वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह (Collectors Manish Singh) ने तो तब भी दो टूक कहा कि वे अगली बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी लिखित आपत्ति दर्ज करवाएंगे। दरअसल प्राधिकरण अफसरों और राजनीतिक बोर्ड ने दीपक मद्दा के साथ सांठगांठ कर संकल्प पारित करवा लिया था, लेकिन उसकी पुष्टि जब अगली बैठक में होना थी, तब मनीष सिंह ने लिखित में पत्र भेजकर अपनी आपत्ति दर्ज करवा दी। इसके चलते वह लाख चाहकर भी प्राधिकरण इस खेल को अंजाम नहीं दे सका, अन्यथा योजना 140 के 20 प्रतिशत विकसित भूखंड दीपक मद्दा सहित अन्य माफियाओं को मिल जाते।


सुप्रीम कोर्ट आदेश से अग्निबाण खुलासा सही साबित
अग्निबाण ने जब इस पूरे मामले का भंडाफोड़ किया, तब प्राधिकरण के अफसरों और राजनीतिक बोर्ड के पदाधिकारियों ने नए भूमि अधिग्रहण कानून का हवाला देकर यह साबित करने की कोशिश की कि प्राधिकरण अगर 20 प्रतिशत विकसित भूखंड नहीं देगा तो उसे पूरी योजना की जमीन ही गंवाना पड़ सकती है। लेकिन बाद में जब सुप्रीम कोर्ट ने 198 पेज का ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें धारा 24 (2) का लाभ अवॉर्ड पारित जमीनों को नहीं मिलने की बात कही, जिसके चलते अग्निबाण द्वारा किया गया भंडाफोड़ सही साबित हुआ और प्राधिकरण को 500 करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगने से भी बची, जिसका खेल दीपक मद्दा ने शुरू किया था। प्राधिकरण योजना 140 सहित अन्य योजनाओं में शामिल जमीनों को इस आदेश के चलते बचाने में सफल हुआ, अन्यथा धारा 24 (2) की गलत व्याख्या कर भूमाफिया सुनियोजित डकैती डालने में जुटा था।


जिला प्रशासन की टीम हिना पैलेस एवं अयोध्यापुरी कॉलोनी में कराई गई फर्जी रजिस्ट्रियां निरस्त करवाने की जुटी है। कलेक्टर मनीष सिंह ने कल देर शाम अपर कलेक्टर व एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-माफियाओं के चंगुल में फंसी जमीन छुड़ाकर पात्र लोगों को भूखंड दिलाए जाएं। चूंकि रजिस्ट्रियां सिविल न्यायालय से ही निरस्त हो सकती हैं, इसलिए प्रशासन न्यायालय के माध्यम से रजिस्ट्रियां निरस्त कराने की तैयारी में है। भूमाफियाओं ने हिना पैलेस कॉलोनी में श्रीराम गृह निर्माण, सारथी, शताब्दी, हरियाणा सोसायटी की लगभग 20 एकड़ जमीन की तत्कालीन अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा सांठगांठ कर फर्जी तरीके से 6 फर्जी रजिस्ट्री कराई गई हैं। इसी तरह अयोध्यापुरी कॉलोनी में मेसर्स सिम्प्लेक्स प्राइवेट लिमिटेड ने मुकेश खत्री व दीपक जैन द्वारा कुल 4 एकड़ जमीन पर एक फर्जी रजिस्ट्री कराई गई है। इस जमीन में कुल 96 लोगों को भूखंड देना थे। प्रशासन द्वारा जल्द ही फर्जी रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए सिविल कोर्ट की शरण ली जा सकती है।

आम जनता में खुशी, मिलेंगे पात्रों को भूखंड
प्रशासन द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से आम जनता में खुशी छाई हुई है। सभी संस्थाओं में एक-एक रुपए इक_ा कर भूखंड लेने वाले लोगों को न्याय मिलेगा। प्रशासन द्वारा जल्द ही इन संस्थाओं की जमीन हड़पने वाले भूमाफिया से जमीन छुड़वाकर पात्रों को प्लॉट दिए जाएंगे।

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