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यात्रियों को दिया जाएगा डिजिटल वैक्सीनेशन पासपोर्ट, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी समूह कर रहे हैं काम

न्यूयॉर्क। स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी समूह एक डिजिटल टीकाकरण पासपोर्ट बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। क्योंकि सरकारों, एयरलाइंस और अन्य व्यवसायों को इस सबूत की आवश्यकता होगी कि व्यक्ति को कोविड-19 का टीका लगा है या नहीं। यह पासपोर्ट सभी जगह स्वीकार्य हो सकता है।

इसी कड़ी में माइक्रोसॉफ्ट, ऑरेकल और नॉन-प्रॉफिट अमेरिकी हेल्थकेयर संगठन मायो क्लीनिक ने गठजोड़ कर वैक्सीनेशन क्रिडेंशियल इनिशिएटिव शुरू किया है। इसका लक्ष्य किसी व्यक्ति ने टीका लगवाया या नहीं, इसकी डिजिटल रूप में पुष्टि करना है। इसका एक उद्देश्य इस महामारी से सुरक्षित होने का गलत दावा करने वालों की रोकथाम करना भी है।

यह पहल गठजोड़ के सदस्यों में से एक दी कॉमन्स प्रोजेक्ट द्वारा किए गए काम पर बनाया गया है। अंतरराष्ट्रीय रूप से स्वीकृत इस डिजिटल प्रमाण को विकसित करने का मकसद यह साबित करना है कि यात्री कोरोना निगेटिव है। रॉकफेलर फाउंडेशन की मदद से स्थापित गैर-लाभकारी संस्था द्वारा विकसित पास का उपयोग अब तीन प्रमुख एयरलाइन गठबंधनों द्वारा किया जा रहा है।

द कॉमन्स प्रोजेक्ट की मुख्य कार्यकारी अधिकारी पॉल मेयर ने कहा कि अब तक टीका लगाए गए लोगों को अक्सर ‘पुराने पीले कार्ड’ की याद दिलाते हुए सिर्फ एक कागज दिया जाता था। अमेरिका में एपिक और सेर्नर जैसी स्वास्थ्य आईटी कंपनियों के साथ काम करके, नई प्रणाली के जरिए उन्हें इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर डिजिटल कार्ड दिए जाएंगे।

मेयर ने कहा कि गठजोड़ कई सरकारों के साथ बातचीत कर रहा है जिन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में उनके देश में यात्रियों की संख्या बढ़ेगी और ऐेसे में उन्हें या तो कोरोना परीक्षण या टीकाकरण के प्रमाण को स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा, ‘व्यक्तियों को जीवन वापस पटरी पर लाने के लिए टीकाकरण का रिकॉर्ड बनाने की आवश्यकता होगी।’

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