जीवनशैली धर्म-ज्‍योतिष

Diwali 2022 : आज है रोशनी का पर्व दिवाली, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र व पूजा विधि

नई दिल्ली। आज यानि 24 अक्तूबर 2022 को दिवाली है। दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश (lakshmi-ganesh) की पूजा का सबसे अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि यदि आप सच्चे मन और विधि विधान से पूजा करते हैं, तो धन की देवी मां लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश आपसे प्रसन्न रहेंगे। आपका पूरा साल अच्छा बीतेगा और आप पर लक्ष्मी-गणेश जी की कृपा बनी रहेगी। दिवाली की रात सर्वार्थ सिद्धि की रात मानी जाता है। ऐसे में शुभ मुहूर्त (auspicious time) पर विधि-विधान के साथ पूजन करने से जीवन में खुशियां आती हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है कि आपके पास पूजन (worship) की सभी सामग्री मौजूद हो।

मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram)14 साल के बाद वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। एक अन्य मान्यता है कि दिवाली के दिन ही मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस कारण इस दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है। जबकि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) संग मां लक्ष्मी का विवाह हुआ था। दिवाली की शाम को उत्तम मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश (Lakshmi Ganesh )और भगवान कुबेर (Lord Kuber) की पूजा का विशेष महत्व है। जानें अन्य खास बातें-

अमावस्या तिथि कब से कब तक-
दिवाली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या (amaavasya) को मनाई जाती है। इस साल अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।

दिवाली लक्ष्मी मुहूर्त (Muhurat) 2022-
दीपावली 2022 लक्ष्मी पूजन मुहूर्त शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। लक्ष्मी पूजन की अवधि 1 घंटा 23 मिनट की है। प्रदोष काल – 05:43 पी एम से 08:16 पी एम तक और वृषभ काल – 06:53 पी एम से 08:48 पी एम तक रहेगा।

दिवाली पूजन सामाग्री-
लकड़ी की चौकी,चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला वस्त्र,देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र, कुमकुम, चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत, पान और सुपारी, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास की बत्ती, पंचामृत,गंगाजल, पुष्प, फल, कलश,जल, आम के पत्ते, कपूर, कलावा, साबुत गेहूं के दाने, दूर्वा घास, जनेऊ, धूप, एक छोटी झाड़ू, दक्षिणा (नोट और सिक्के), आरती की थाली। दिवाली पूजन में शंख, कमल का फूल, गोमती चक्र, धनिया के दाने, कच्चा सिंघाड़ा, मोती व कमलगट्टे का माला आदि शामिल करना चाहिए।



लक्ष्मी गणेश पूजन की विधि
दिवाली की सफाई के बाद घर के हर कोने को साफ करके गंगाजल (gangajal) छिड़कें। लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं और बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें। कलश को अनाज के बीच में रखें। कलश में पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें। कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें। बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति रखें।

एक छोटी-सी थाली में चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें दें। इसके बाद अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें। अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं। इसके साथ ही कलश पर भी तिलक लगाएं।

अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें। हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ाएं। लक्ष्मीजी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं। मूर्ति को फिर से पानी से स्नान कराकर, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें। मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें। माला को देवी के गले में डालकर अगरबत्ती जलाएं। नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें। देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें। थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें।

लक्ष्मी पूजन मंत्र-
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
. ॐ श्रीं श्रीयै नम:
. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥

मां लक्ष्‍मी जी की आरती (Mata Laxmi Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता ।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ।।

ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए हैं, इन पर हम किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हें।

Share:

Next Post

death anniversary special : शास्त्रीय संगीत में Manna Dey का कोई सानी नहीं

Mon Oct 24 , 2022
भारतीय सिनेमा (Indian cinema) के इतिहास में गायक मन्ना डे (Manna Dey) एक ऐसा नाम है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। मन्ना डे (Manna Dey)आज भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन अपने गीतों के जरिये वह सदैव अमर रहेंगे। मन्ना डे (Manna Dey)का जन्म गुलाम देश में 1 मई, 1919 को कोलकाता में हुआ […]