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डीएनए जांच में महिला के ही सैंपल मिले, स्कूल संचालक और टीआई को हाईकोर्ट से राहत; जानें मामला

  • May 07, 2025

    जबलपुर। भोपाल स्थित ज्ञान गंगा स्कूल के संचालक मिनी राज मोदी और पुलिस विभाग में टीआई के पद पर पदस्थ प्रकाश सिंह राजपूत को पॉक्सो, बलात्कार सहित अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से राहत मिली है। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद दोनों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने डीएनए प्रोफाइल रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए पाया कि जांच के लिए भेजे गए सैंपल में केवल महिला डीएनए प्रोफाइल मिली है, पुरुष डीएनए का कोई अंश नहीं मिला।

    दरअसल, भोपाल के मिसरोद थाना क्षेत्र में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, आठ वर्षीय एक बच्ची, जो ज्ञान गंगा स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी, उसकी मां ने स्कूल प्रबंधन और टीआई पर गंभीर आरोप लगाए थे। महिला ने 28 अप्रैल 2024 को स्कूल में फोन किया, तब बताया गया कि बच्ची सो रही है। शाम को जब बात हुई तो बच्ची रो रही थी। वीडियो कॉल के दौरान बच्ची कुछ बताना चाहती थी, लेकिन वार्डन ने कॉल काट दी। अगले दिन जब महिला बच्ची को लेकर बाहर घूमने गई, तब बच्ची ने बताया कि वार्डन ने जबरन खाना खिलाया और उसके बाद वह बेहोश हो गई। होश आने पर उसने खुद को एक अलग कमरे में पाया, जहां वह घायल अवस्था में थी। बच्ची के प्राइवेट पार्ट से खून आ रहा था और उसके कपड़े गंदे थे। महिला ने डॉक्टर को दिखाने के बाद पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। आरोप यह भी था कि टीआई प्रकाश सिंह राजपूत ने एफआईआर दर्ज न कराने का दबाव बनाया था।


    1 मई 2024 को स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा की गई जांच में किसी प्रकार की बाहरी चोट नहीं पाई गई। केवल लेबिया माइनोरा पर हल्की लालिमा थी और कोई रक्तस्राव नहीं था। 10 मई को हमीदिया अस्पताल में डॉक्टरों की टीम द्वारा विस्तृत मेडिकल जांच की गई, जिसमें बल प्रयोग का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला। डीएनए जांच के लिए भेजे गए नमूनों में भी पुरुष डीएनए नहीं मिला। ‘ए’, ‘सी’ और ‘ई’ के रूप में चिह्नित सैंपल में केवल महिला डीएनए ही पाया गया। पुलिस ने स्कूल की सीसीटीवी फुटेज भी जब्त की, जिसमें स्कूल संचालक मिनी राज मोदी कहीं दिखाई नहीं दिए। पुलिस ने 42 लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें किसी ने भी घटना की पुष्टि नहीं की।

    आवेदकों के अधिवक्ताओं मनीष दत्त और ईशान दत्त ने कोर्ट को बताया कि महिला ने पूर्व में भी 2014 में एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का झूठा आरोप लगाया था और बाद में अपने बयान से मुकर गई थी। उस मामले में न्यायालय ने उसके खिलाफ धारा 182 और 211 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। महिला के खिलाफ अन्य आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हैं। इन तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने एफआईआर को निरस्त कर दिया।

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