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निर्जला एकादशी के दिन करें ये खास उपाय, पुण्य फल में वृद्धि के साथ श्रीहरि की होगी विशेष कृपा

नई दिल्‍ली (New Delhi) । निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi ) ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। शास्त्रों में इस दिन का पौराणिक और धार्मिक महत्व (Mythological and Religious Significance) सभी एकादशियों में सबसे अधिक है। मान्यता है कि इस एकादशी के दिन निर्जला उपवास रखने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में सौभाग्य और धन वृद्धि (good luck and wealth growth) करती हैं। इस व्रत को करने से प्राणी की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है,आध्यत्मिक ऊर्जा का विकास होता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके अर्घ्य,व्रत,जप-तप,पूजन,कीर्तन एवं दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु (Lord Vishnu), प्राणियों को ब्रह्मघात और अन्य कृत्या-कृत्य पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं।शास्त्रों के अनुसार,वर्ष भर में जितनी एकादशियां होती हैं,उन सबका फल मात्र निर्जला एकादशी का व्रत रखने से प्राप्त हो जाता है।

पुण्य प्राप्ति के लिए ये करें
सृष्टि के पालनहार भगवान श्री नारायण को पीला रंग अति प्रिय है। इसलिए एकादशी के दिन स्नान-ध्यान से निवृत होकर साफ़ पीले रंग के वस्त्र धारण कर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा पंचामृत,गंगाजल, पीले फल, पीले पुष्प,पीला चन्दन,तुलसी पत्र एवं मंजरी, धूप, दीप, अक्षत, पान-सुपारी आदि चीजों से करें। साथ ही भोग में उन्हें पीले रंग की मिठाई भेंट करें। इससे भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।इस दिन तुलसी के पत्र नहीं तोड़ने चाहिए,शास्त्रों में ऐसा करना वर्जित बताया गया है।


वैसे तो इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक निर्जल रह कर व्रत रखने का विधान है पर जो लोग कमजोर या फिर बीमार रहते हैं वह जल पीकर और एक बार फलहार कर सकते हैं।पर जो लोग बिल्कुल व्रत नहीं रह सकते वह मानसिक रूप से भगवान विष्णु का स्मरण करते रहें और तामसिक चीजों का प्रयोग न करें।

एकादशी के दिन गीता पाठ,विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करने से प्राणी पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर विष्णुजी की कृपा पाता है ।

रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य,भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए।जागरण करने वाले को जिस फल की प्राप्ति होती है,वह हज़ारों बर्ष तपस्या करने से भी नहीं मिलता।

व्रत की सिद्धि के लिए भगवान विष्णु के समक्ष घी का अखंड दीपक जलाएं ,एवं इस दिन दीपदान करना शुभ माना गया है।भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आसमान के नीचे सांयकाल घरों,मंदिरों,पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करने चाहिए,गंगा आदि पवित्र नदियों में दीप दान करना चाहिए।

यह व्रत ज्येष्ठ मास में पड़ने के कारण इस दिन गर्मी से राहत देने वाली शीतल वस्तुओं का दान करना चाहिए। इस दिन गोदान,वस्त्रदान,छत्र,जूता,फल,शर्बत,जल आदि का दान करना बहुत ही लाभकारी होता है।इस दिन जल दान करने का पुराणों में बहुत महत्व बताया गया है। साथ ही निर्जला एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिये। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर एवं दक्षिणा देकर तत्पश्चात अन्न व जल ग्रहण करें।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के आधार पर पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.

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