
नई दिल्ली। दिल्ली के अस्पतालों में शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी रही जिसके चलते मरीजों को उपचार लेने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि सामान्य दिनों की तुलना में शनिवार दोपहर तक ही कई जगह ओपीडी संचालित होती है।
डॉक्टरों का अब कहना है कि अगर सरकार ने जल्द ही नीट पीजी काउंसलिंग और प्रवेश को लेकर प्राथमिकता पर फैसला नहीं लिया तो सोमवार से डॉक्टरों का आंदोलन और तेज होगा। इस बार डॉक्टरों ने सोमवार यानी छह दिसंबर से इमरजेंसी सेवाओं में भी काम नहीं करने का निर्णय लिया है। बहरहाल शनिवार को भी राजधानी के ज्यादातर अस्पतालों में पहले से तय ऑपरेशन रोकने पड़ गए। करीब 700 से ज्यादा ऑपरेशन शनिवार के दिन इन अस्पतालों में किए जाते हैं।
फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मनीष ने बताया कि दिल्ली सहित देश भर के रेजीडेंट डॉक्टर सरकार के खिलाफ एक सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बाद भी केंद्र सरकार ने अब तक उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया है। नीट काउंसलिंग समय पर न होने की वजह से हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लग चुका है। डॉ. मनीष का कहना है कि सरकार को रविवार तक का समय दिया है। अगर पांच दिसंबर तक नीट पीजी काउंसलिंग को लेकर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया तो रेजीडेंट डॉक्टर सोमवार से ओपीडी, आईपीडी के अलावा इमरजेंसी सेवाओं में भी काम करना बंद कर देंगे और इसकी वजह से होने वाले किसी भी तरह के नुकसान की जिम्मेदारी सरकार की होगी।
दरअसल देश भर में बीते सोमवार से रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल चल रही है। शुक्रवार से दिल्ली के सभी अस्पतालों में डॉक्टरों ने ओपीडी बंद कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करना शुरू कर दिया है। शनिवार और रविवार को वीकेंड के चलते अधिकांश अस्पतालों पर बोझ कम होता है लेकिन सोमवार को फिर से मरीजों की संख्या काफी देखने को मिलती है। ऐसे में अब डॉक्टरों के संगठन आंदोलन तेज करने का फैसला ले चुके हैं।
उधर, डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को काफी परेशानियां हो रही हैं। जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह सफदरजंग अस्पताल में ओपीडी को लेकर काफी बहस हुई। साथ ही प्रदर्शन कर रहे छात्रों के नाम भी प्रबंधन ने मांगे हैं। लेकिन रेजीडेंट डॉक्टरों का कहना है कि प्रबंधन के इस रवैये से वह कतई खुश नहीं है। इसलिए ओपीडी सेवाएं उन्होंने बाधित रखीं। ठीक इसी तरह की स्थिति आरएमल अस्पताल में भी देखने को मिली जहां मरीजों की लंबी लंबी लाइनें थीं और ओपीडी में फैकल्टी मरीजों की जांच कर रही थी।
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