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फसल का सर्वे कौन कर रहा पता नहीं, पटवारी किसान सम्मान निधि के काम में व्यस्त

गुना। जिस तरह किसानों की फसल मौसम पर निर्भर है उसी तरह इस बार खरीफ फसल में हुए नुकसान का आकलन भी भगवान भरोसे हो गया है, क्योंकि राजस्व दलों ने अब तक खरीफ फसल में हुए नुकसान का आकलन करने सर्वे कार्य शुरू तक नहीं किया है। पटवारी सहित राजस्व अमला इस समय मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के काम में व्यस्त हैं। वहीं दूसरी ओर किसानों ने फसल पक जाने के बाद काटना शुरू कर दिया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि जब खेत में फसल ही नहीं रहेगी तब सर्वे दल खेत में जाकर क्रॉप कटिंग कार्य कैसे करेगा, क्योंकि इसी आधार पर फाइनल आंकड़ा प्राप्त होता है। जिसके आधार पर राजस्व टीम व बीमा कंपनी बीमा की राशि तय करती है।
जानकारी के मुताबिक जिले में इस बार सोयाबीन की बोवनी करीब 277.400 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई थी। किसानों को पहले से ही इस फसल को लेकर मौसम की चिंता सता रही थी और हुआ भी वैसा ही। पहले तो मौसम की बेरुखी के चलते देर से बारिश हुई और बोवनी काफी लेट हो सकी। इसके बाद जब बारिश हुई तो लगातार होती रही। जिससे सोयाबीन व उड़द फसल को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। जिले की बमोरी विधानसभा, मधुसूदनगढ़ व कुंभराज क्षेत्र में पार्वती नदी में आई बाढ़ की चपेट में आने से खेतों में खड़ी पूरी फसल बर्बाद हो गई। प्रारंभिक सर्वे में भी यह बात सामने आ चुकी है कि पार्वती नदी के क्षेत्र में आए गांव में फसलों को शत प्रतिशत नुकसान हुआ है। वहीं जिले की अन्य तहसीलों में खरीफ फसल सोयाबीन व उड़द को बारिश के अलावा कीटों से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक सर्वे नहीं कराने से किसान चिंतित नजर आ रहा है। उसका कहना है कि बिना सर्वे के राजस्व विभाग व बीमा सर्वे दल कैसे और कितना नुकसान का आकलन करेगा।

पिछले साल का बीमा मिला नहीं, वर्तमान में सर्वे हुआ नहीं
पिछले साल खरीफ फसल में हुए नुकसान का मुआवजा एक साल बाद भी किसानों के खातों में नहीं पहुंच सका है। वहीं वर्तमान में भी खरीफ फसल में हुए नुकसान का आकलन करने न तो सर्वे हुआ और न ही क्रॉप कटिंग। कुल मिलाकर किसानों को मिलने वाली सुविधा का लाभ शासन प्रशासन के दिशा निर्देशों में उलझकर रह गया है। हाल ही में गरीब कल्याण सप्ताह अंतर्गत मुख्यमंत्री ने ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान सिंगल क्लिक के माध्यम से जिले के 32 हजार 584 किसानों के खाते में 76 करोड़ 37 लाख की बीमा राशि वितरित की थी, लेकिन तकनीकी कारणों के कारण यह राशि सभी किसानों के खातों में नहीं पहुंची है। जिसके चलते किसान बैंकों के चक्कर काट रहे हैं। वहीं इस समय सर्वे कार्य शुरू न होने का कारण पटवारी सहित राजस्व महकमे का मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि कार्य में व्यस्त होना बताया गया है। राजस्व अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी तक सर्वे कार्य शुरू नहीं हुआ है। बीते 8 दिनों से मुख्यमंत्री की प्रस्‍तावित सभा को लेकर व्यस्त थे। वहीं सभा के पश्चात उन्हें मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के कार्य में लगा दिया। खास बात यह है कि यही समय किसानों द्वारा फसल काटने का समय है। जब खेत में फसल ही नहीं बचेगी तब कैसे क्रॉप कटिंग हो पाएगी, क्योंकि इसी आधार पर नुकसान का सही और फाइनल आकलन किया जाता है। जिसके आधार पर मुआवजा तय होता है।
जरा इनकी भी सुनो
किसान मुरारी किरार का कहना है कि मैं बमोरी विधानसभा के ग्राम झागर का किसान हूं। मैंने इस बार 25 बीघा में सोयाबीन की बुवाई की थी। पहले लगातार बारिश फिर कीटों के प्रकोप से फसल को बहुत नुकसान हुआ है। एक बीघा में 3 क्विंटल सोयाबीन का एवरेज है, लेकिन इस बार 40 किलो ही निकला है। फसल की लागत तो क्या बुवाई का खर्च भी नहीं निकला है।

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