नई दिल्ली। आज के समय में ज्यादातर लोग सोडे (Soda) का सेवन करना बेहद अच्छा सझमते है, यहां तक कि कुछ लोग तो नियमित रूप से इसका सेवन करते हैं। रात के खाने के बाद सोडा पीना (drinking soda) उनकी दिनचर्या में शामिल होता है, किन्तु वास्तव में सोडा सेहत को लाभ कम और हानि अधिक पहुंचाता है। पिछले कुछ समय से मार्केट में डाइट सोडा (drinking soda) व अन्य कई तरह की सोडा भी मिलने लगी है। यहां तक कि ऐसे कई कार्बोनेटेड पेय पदार्थ (carbonated beverages) भी हैं, जिन्हें बच्चों से लेकर बड़ों तक पीना बेहद पसंद करते हैं।
यहां तक कि कई सारे लोगों का मानना है कि सोडा पीने से खाना पच जाता है और ये गैस संबंधी समस्याओं से निजात दिलाता है लेकिन शायद आप यह नहीं जानते कि सोडा आपकी लाइफ में जितना फायदेमंद है उससे कही ज्यादा इसका रेगुलर सेवन आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है
ज्यादा सोडा पीने (drinking soda) से आपके शरीर को फैटी लिवर की समस्या हो सकती हैं। फैटी लिवर एक ऐसी बीमारी है जिसमें लिवर की शेल में बहुत ज्यादा फैट जमा हो जाता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाता हैं। इसलिए अगर अत्यधिक सोडे का सेवन कर रहे हैं, तो आज ही इसे कम करें।
सोडा पीना आपके दांतो को अफेक्ट कर सकता है. सोडा आपके दांतो में सड़न पैदा करता है और साथ ही मोटापे जैसे गंभीर बीमारी को भी जन्म देता है। सोडा में बडी मात्रा में कैलोरी होती है जो शरीर के लिए बेहद हानिकराक होती है। इससे भी बचना चाहिए। वहीं बाजार में मिलने वाले कई सोडे ऐसे हैं जिनमें आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है. ये न सिर्फ मोटापा बढ़ाते हैं बल्कि कैंसर जैसी समस्याओं को न्योता भी दे सकते हैं। सोडे में बहुत अधिक मात्रा में कैलोरी पाई जाती है, जो शरीर के लिए बेहद घातक हैं। बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप इससे परहेज़ करें और खुद को स्वस्थ्य रखें।
नियमित रूप से सोडा का सेवन आपको हृदय रोग और इससे संबंधित मुद्दों के विकास के जोखिम में बढ़ाता है। एक बड़े पैमाने पर किए गए दीर्घकालिक अध्ययन में भी पाया गया कि जिन पुरुषों ने रोजाना एक सर्विंग या उससे शुगरी शर्करा सोडा का सेवन लिया, उनमें दिल का दौरा पड़ने या मरने का 20 प्रतिशत अधिक जोखिम था। इसी तरह के एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि जो महिलाएं रोजाना दो से अधिक सोडा का सेवन करती हैं, उनमें दिल का दौरा पड़ने या हृदय रोग से संबंधित मौत का 40 प्रतिशत अधिक जोखिम होता है।
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