
नई दिल्ली: श्रीलाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (Shri Lal Bahadur Shastri National Sanskrit University) नई दिल्ली और दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज संयुक्त रूप से विश्व संवाद केंद्र (World Dialogue Center) के सहयोग से हिंदुत्व के विमर्श: चुनौतियां, समाधान एवं भविष्य विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. सम्मेलन 78 नवंबर 2025 को श्रीलाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में होगा. इससें शामिल होने के लिए 30 अक्टूबर तक रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, RSS के सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल, श्रीलाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति मुरली मनोहर पाठक और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह होंगे.
प्रोफेसर प्रेरणा मल्होत्रा ने बताया, देश-विदेश से अभी तक 50 रिसर्च पेपर आ चुके हैं. अभी और भी आएंगे. आयोजकों के अनुसार, इस सम्मेलन का उद्देश्य हिंदुत्व से जुड़े विमर्शों, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर शैक्षणिक चर्चा को प्रोत्साहित करना है. सम्मेलन के लिए शोधपत्र आमंत्रित किए गए हैं. सम्मेलन में शामिल होने के लिए अभ्यर्थी 30 अक्टूबर तक रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और रिसर्च पेपर भी जमा कर सकते हैं.
आर्य-द्रविड़ विवाद और सांस्कृतिक एकता, हिंदू चिंतन में स्त्री और परिवार की अवधारणा, धर्म और विज्ञान (विज्ञान), हिंदू परंपराओं में समावेशिता, हिंदू राष्ट्र की संकल्पना और हिंदुत्व के समक्ष चुनौतियां और संभावनाएं सम्मेलन के प्रमुख विषय निर्धारित किए गए हैं. स्वीकृत की सूचना 10 अक्टूबर निर्धारित की गई है.
डीयू का हिंदू अध्ययन केंद्र इसका सह-आयोजक है. अध्ययन केंद्र की की प्रमुख प्रेरणा मल्होत्रा ने कहा कि अब समय आ गया है कि नए अन्वेषणों के लिए एक मंच तैयार किया जाए और स्वदेशी दृष्टिकोण से चर्चा की जाए. यह सम्मेलन शास्त्रार्थ की प्राचीन धार्मिक परंपरा की तरह, हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए अकादमिक विचारों के एक साथ आने का अवसर प्रदान करेगा.
हिंदू अध्ययन, संस्कृत, इतिहास, राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र के शोधकर्ताओं, नीति विशेषज्ञों और धार्मिक और सभ्यतागत अध्ययनों में रुचि रखने वालों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. जारी संकल्पना नोट में कहा गया है कि सम्मेलन का उद्देश्य हिंदू धर्म पर औपनिवेशिक, मार्क्सवादी और उत्तर-औपनिवेशिक सिद्धांतों द्वारा गढ़े गए प्रमुख आख्यानों पर पुनर्विचार करना है.
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