पिछले दिनों पता चला कि संजय दत्त भी फेफड़ों के कैंसर से पीडि़त हैं। कैंसर कभी भी अमीर गरीब या सेलिब्रिटीज और कॉमन मेन के बीच भेदभाव नहीं करता। ये सिर्फ आप पर अटैक
करता है। हमारे बॉलीवुड में कई ऐसे सेलेब्स हैं, जिनको इस खतरनाक बीमारी का सामना करना पड़ा और इससे लड़ाई करते करते उनकी जान चली गई।
नरगिस दत्त
नरगिस को पेंक्रियाटिक कैंसर था और न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। भारत आकर उनकी तबियत और बिगड़ गई और ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराया गया। जहां वे कोमा में चली गईं और अगले दिन उनकी मौत हो गई।
नूतन
अपने हुनर व अपनी एक्टिंग से एक से एक सुपरहिट फिल्में करने वाली नूतन को 1990 में ब्रेस्ट कैंसर हो गया, फरवरी 1991 में उन्हें इलाज के लिए मुंबई ले जाया गया, पर वह इस जंग में जीत हासिल नही कर पाईं।
राजेश खन्ना
राजेश खन्ना जिन्हें हम बॉलीवुड के सबसे प्रथम और ओरिजनल सुपरस्टार कहते हैं उनकी 18 जुलाई 2012 को मौत हो गई थी। राजेश उन दिनों अपने आशीर्वाद बंगले पर थे और कई दिनों से कैंसर से लड़ाई लड़ रहे थे। जब उनकी मौत हुई तब वो 69 साल के थे।
टॉम आल्टर
हाल ही में बॉलीवुड और टीवी के मशहूर एक्टर टॉम अल्टर की उनके मुंबई निवास पर मृत्यु हो गई। टॉम 67 साल के थे और कई दिनों से स्किन कैंसर से जूझ रहे थे। उनकी बीमारी अपने आखिरी स्टेज पर थी जब टॉम की मृत्यु हो गई।
विनोद खन्ना
एक्टर और पॉलिटिशियन विनोद खन्ना की इसी साल अप्रैल में मृत्यु हो गई थी। विनोद 70 साल के थे और उनको ब्लड कैंसर था। विनोद खन्ना कई दिनों से अस्वस्थ थे, जिसकी वजह से उनको कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
नाजिया हसन
वैसे तो नाजिया पाकिस्तानी पॉप सिंगर थीं, मगर बॉलीवुड में उन्होंने फिल्म कुर्बानी के गाने आप जैसा कोई से बड़ा हाथ मारा। उनकी डेब्यू एल्बम डिस्को दीवाने ने पाकिस्तान और भारत में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 13 अगस्त 2000 को लंदन में फेफड़ों के कैंसर से उनकी मौत हो गई। नाजिया 35 साल की थीं।
अशराफ उल हक
अशराफ गोलपारा असम के रहने वाले थे। हिंदी फिल्म सिनेमा में उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने 30 से ज्यादा फिल्मों, टीवी सीरियल और विज्ञापनों में काम किया था। 17 फरवरी 2015 को उन्होंने आखिरी सांस ली। अशराफ को बोनमेरो कैंसर था और करीब दो साल उनका गहन इलाज चला।
आदेश श्रीवास्तव
आदेश एक म्यूजिक कंपोजर और सिंगर थे। अपने जन्मदिन के एक दिन बाद ही मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में उनकी मौत हो गई। हॉस्पिटल के अनुसार उन्होंने 40 दिन तक कैंसर से लड़ाई लड़ी। वो महज 51 साल के थे जब उनकी मौत हुई।
सिम्पल कपाडिय़ा
डिंपल कपाडिया की छोटी बहन सिंपल को कैंसर का सामना तीन साल तक करना पड़ा और मुंबई के अंधेरी अस्पताल में उनकी 10 नवम्बर 2009 को मौत हो गई। सिंपल भी 51 साल की थीं जब उनकी मौत हुई।