विदेश

बाढ़ के कारण पाक में वित्‍तीय संकट, दुनिया के सामने हाथ फैलाने को मजबूर PM शहबाज

नई दिल्‍ली। पाकिस्तान (Pakistan) के राजनीतिक हालात किसी से छिपे नहीं है. लेकिन इससे भी ज्यादा भयानक नाजुक स्थिति ये है कि यहां पर लोगों को खाने-पीने के लाले पड़ रहे हैं. कुछ महीने आई बाढ़ ने पाक को पूरी तरह से तोड़ दिया है. विश्व के कई देशों ने वित्तीय सहायता (financial help) भी की है मगर अभी भी स्थितियां नहीं सुधरी. अब पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह भीषण सर्दी (cold winter) से जूझ रहे दो करोड़ बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए उनके देश को बेहद जरूरी मदद प्रदान करे.

जेनेवा में आगामी नौ जनवरी को होने वाले इंटरनेशनल डोनर कॉन्फ्रेंस (International Donor Conference) होने वाली है. इससे पहले ही बाढ़ के कारण विस्थापित हुए लाखों लोगों के लिए भोजन, तंबू और अन्य आवश्यक चीजों की व्यवस्था करने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Prime Minister Shahbaz Sharif) ने भावुक अपील की. सिंध प्रांत में जल प्रलय से बड़े पैमाने पर तबाह हुए कोट दीजी की यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री ने टेलीविजन पर प्रसारित अपनी टिप्प्णी में कहा, आज भी दो करोड़ बाढ़ पीड़ितों को तुरंत मानवीय मदद की जरूरत है.


गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा पाकिस्तान
कैश के संकट से जूझ रहा पाकिस्तान मध्य जून में आई भारी बारिश से पहले से ही गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. इस बारिश के कारण पाकिस्तान को अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उसका एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो गया था. शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान जलवायु परिवर्तन (Climate change) जनित बाढ़ से जूझ रहा है जबकि वैश्विक कार्बन में इसका योगदान नहीं के बराबर है. पाकिस्तान का कहना है कि बाढ़ के कारण उसकी अर्थव्यवस्था को 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ.

पहले भी दुनिया से मिली काफी मदद
इससे पहले जर्मनी के पहले एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 2.3 बिलियन डॉलर की बाढ़-राहत सहायता प्रदान करने की घोषणा की थी. यूरोपीय संघ (ईयू) ने भी अपनी बाढ़ सहायता को बढ़ाकर 30 मिलियन यूरो (6.7 बिलियन पाकिस्तानी रुपये) कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान के लिए अपनी मानवीय सहायता अपील को 160 मिलियन डॉलर से पांच गुना बढ़ाकर 816 मिलियन डॉलर कर दिया था. दो महीने पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जर्मनी से पैसा मांगने गए. पैसा मिलने के बाद वो ऐसे बौखलाए कि कश्मीर राग ही अलापने लगे. मौका देख जर्मनी भी हां में हां मिलाता रहा.

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