
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के लिए कई विदेशी कंपनियां (Foreign Companies) भारत (India) में ही लड़ाकू विमान (Fighter aircraft.) बनाने को तैयार हैं। दरअसल, भारतीय वायुसेना के लिए 114 विमानों की खरीद होनी है। इसके लिए सरकार ने मेक इन इंडिया (Make in India) की शर्त रखी है, लेकिन यह बड़ी डील है जिसे हर देश हासिल करना चाहता है। अबतक तीन देशों रूस, फ्रांस और स्वीडन ने भारत में विमान निर्माण का प्रस्ताव दिया है।
सूत्रों के अनुसार हालांकि सरकार की तरफ से अभी डील को लेकर किसी भी देश के साथ बातचीत नहीं की गई है, लेकिन तीन देश अब तक सरकार को मेक इन इंडिया के तहत भारत में लड़ाकू विमान के निर्माण का प्रस्ताव दे चुके हैं। रूस इसमें सबसे आगे है। दरअसल, पांचवीं पीढ़ी के जो मल्टीरोल विमान वायुसेना को चाहिए, उसमें रुस का सुखोई-57 भी फिट बैठता है।
रूस इस विमान को भारत में बनाने को तैयार है। वैसे भी एचएएल के पास सुखोई के निर्माण की सुविधा पहले से उपलब्ध है। दूसरे नंबर पर फ्रांस की दसाल्ट एविएशन राफेल विमानों का भारत में निर्माण करने को तैयार है। दरअसल, पूर्व में वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदे गए थे। अब नौसेना ने 26 विमान खरीद का ऑर्डर दिया है।
स्वीडन की साब ग्रिपेन बनाने को तैयार
सूत्रों के अनुसार, स्वीडन की कंपनी साब भी भारत में अपने लड़ाकू विमान ग्रिपेन का निर्माण करने को तैयार है। साब भारत में रक्षा सामग्री का निर्माण पहले से कर रही है। वहीं, एयरबस भारत में टाटा संस के साथ मिलकर वायुसेना के लिए परिवहन विमानों का निर्माण कर रहा। एयरबस मिलकर यूरोफाइटर टाइफून विमान बनाते हैं।
अमेरिका ने नहीं खोले हैं पत्ते
अमेरिका की तरफ से एफ-35 लड़ाकू विमान की खरीद को लेकर भी प्रस्ताव है, लेकिन अमेरिका की तरफ से भारत में निर्माण को लेकर अभी पत्ते नहीं खोले गए हैं। भारत के सुखोई-57 को खरीदे जाने की अटकलें ज्यादा थी लेकिन राफेल को उससे बेहतर विकल्प माना जा रहा है। एफ-35 खरीद का भी दबाव है।
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