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स्वतंत्रता सेनानी पेंशन आय नहीं, महिला को फैमिली पेंशन भी दें: मद्रास हाईकोर्ट


मदुरैः मद्रास हाईकोर्ट ने एक हालिया फैसले में कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पेंशन को किसी की आय नहीं माना जा सकता. यह पेंशन देश की आजादी की लड़ाई में योगदान को देखते हुए सम्मान स्वरूप दी जाती है. यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता महिला को स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना के तहत दिवंगत पिता की पेंशन के अलावा सरकारी कर्मचारी रही मां की फैमिली पेंशन भी दें.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मामला तमिलनाडु के पुदुकोट्टाई का है. यहां एस. जीवालक्ष्मी नाम की महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके प्रशासन के फैमिली पेंशन देने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी थी. अविवाहित जीवालक्ष्मी के पिता एसटी शिवास्वामी एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. उन्हें स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना के तहत पेंशन मिलती थी. जीवालक्ष्मी की मां एक निगम के प्राइमरी स्कूल में काम करती थीं. 1979 में मां की मृत्यु के बाद से उनकी फैमिली पेंशन भी पिता को मिलने लगी.


साल 2001 में शिवास्वामी का देहांत हो गया. उनकी कानूनी वारिस होने के नाते जीवालक्ष्मी को उनकी स्वतंत्रता सेनानी पेंशन मिलने लगी. हालांकि पिता की मृत्यु के बाद न तो जीवालक्ष्मी ने और न ही उनके किसी भाई-बहन ने मां की फैमिली पेंशन निकाली. 2001 में सरकार ने आदेश निकाला कि फैमिली पेंशन 25 साल से ऊपर की अविवाहित बेटियों को भी मिलेगी, लेकिन शर्त ये लगाई कि उसकी महीने की आमदनी 2550 रूपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. बाद में 2017 में, आमदनी की ये सीमा बढ़ाकर 7850 रुपये कर दी गई.

2017 में जीवालक्ष्मी ने अपनी मां की पेंशन लेने के लिए आवेदन दिया, जिसे मंजूरी दे दी गई. हालांकि एक साल बाद ही अधिकारियों ने ये कहकर पेंशन बंद कर दी कि वह पेंशन पाने के योग्य नहीं हैं क्योंकि उन्हें पहले से ही स्वतंत्रता सैनिक सम्मान योजना के तहत पेंशन मिल रही है. अधिकारियों के आदेश को जीवालक्ष्मी ने मद्रास हाईकोर्ट में 2020 में चुनौती दी.

TOI के मुताबिक, कोर्ट में सरकार की तरफ से दलील दी गई कि जीवालक्ष्मी को सेनानी पेंशन के तौर पर 13390 रुपये मिल रहे हैं, इस तरह वह मां की फैमिली पेंशन के योग्य नहीं हैं क्योंकि उनकी महीने की आमदनी निर्धारित सीमा से ज्यादा है. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस बी पुगलेंधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट भी अपने पहले के फैसलों में ये स्पष्ट कर चुके हैं कि स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना स्वतंत्रता संग्राम में लोगों के बलिदान और योगदान को देखते हुए दी जाती है. यह एक सांकेतिक सम्मान की तरह है. ऐसे में इस पेंशन को इनकम के दायरे में नहीं माना जा सकता.

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