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राजस्थान में गहलोत-पायलट की लड़ाई का गुजरात चुनाव पर असर, BJP को होगा फायदा!

जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस के बड़े नेताओं के झगड़े (Quarrels of big Congress leaders) का असर गुजरात के चुनाव (gujarat elections) पर भी पड़ सकता है। खासकर, उत्तर गुजरात जो राजस्थान से सटा हुआ क्षेत्र है। यहां पर भाजपा (BJP) पिछली बार कांग्रेस (Congress) से पिछड़ी भी थी। भाजपा, कांग्रेस के झगड़े का लाभ गुजरात में अपनी चुनावी ताकत को बढ़ाने में कर सकती है।

गुजरात में लगभग 15 लाख राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले मतदाता हैं, जिनका असर लगभग 50 सीटों पर माना जाता है। कांग्रेस ने गुजरात के चुनाव को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) को खास जिम्मेदारी दी हुई है, लेकिन चुनाव प्रचार के चरम पर अशोक गहलोत और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच चल रहे वाक युद्घ से कांग्रेस की गुजरात की चुनावी रणनीति प्रभावित हो सकती है। सीधे तौर पर भले ही यह गुजरात से संबंध नहीं रखती हो, गहलोत का गुजरात में भाजपा से निपटने के बजाय सचिन पायलट से उलझने का खामियाजा कांग्रेस को हो सकता है। भाजपा इसका लाभ ले सकती है।


भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा कि कांग्रेस राज्य में पहले से ही कमजोर है। अब उसके अंतर्कलह से राज्य के मतदाताओं में भाजपा को और मजबूती मिलेगी। ऐसे में भाजपा का विकास व स्थायी सरकार का दावा और ज्यादा मजबूती से जनता के बीच पहुंचेगा। राजस्थान से सटा गुजरात का इलाका आदिवासी बहुल भी है और भाजपा में ऐसे मौके का लाभ उठाकर अपने राजस्थान के आदिवासी नेताओं को इस क्षेत्र में सक्रिय भी कर दिया है। इसके अलावा भाजपा के अन्य नेता भी सक्रिय हैं।

हालांकि, राजस्थान में भाजपा गहलोत सरकार के खिलाफ जन आक्रोश रैली के आयोजन में व्यस्त है, जिसके कारण उसके कई नेता गुजरात में प्रचार में समय नहीं दे पा रहे थे, लेकिन अब बदली स्थिति में भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और राजस्थान से कई नेताओं को गुजरात में बुलाना भी शुरू कर दिया है।

गौरतलब है कि राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले लगभग 15 लाख मतदाता गुजरात में हैं। यह लगभग 50 सीटों पर 5000 से 10000 की संख्या में माने जाते हैं। ऐसे में इनको प्रभावित करना भाजपा के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।

अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा विवाद चुनावी चरम पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है। इसका लाभ आम आदमी पार्टी भी उठा सकती है। भाजपा की कोशिश इन दोनों दलों के बीच संघर्ष में लाभ लेने की है। साथ ही भाजपा इस बात पर भी नजर रखे हुए है कि उसका समर्थक वर्ग किसी और की तरफ नहीं छिटके।

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