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Holi 2024: ओरछा में होली पर गर्भगृह से बाहर आएंगे राजा राम

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) रंगों के त्यौहार होली (festival of colors Holi) के विविध समारोहों के माध्यम से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत (Rich cultural heritage), लोक कला और आध्यात्मिक महत्व को प्रदर्शित करने के लिए तैयार हो जाता है। आसमान को सतरंगी कर देने वाली इंदौर की गेर हो या फिर जनजातीय क्षेत्र का लोक पर्व भगोरिया, प्रदेश का हर क्षेत्र रंगों के पर्व होली को अपनी सांस्कृतिक विविधता के साथ उत्साह और उल्लास के साथ मनाता है। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड (Madhya Pradesh Tourism Board) राज्य के पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करता है और देशभर के पर्यटकों को प्रदेश के उल्लास भरे उत्सव में शामिल होने का न्योता दे रहा है।


ओरछा में गर्भगृह से बाहर आएंगे राजा राम
29 मार्च को होली खेलने के लिए राजा राम गर्भगृह से बाहर निकलकर मंदिर के चौक में विराजते हैं। सुबह 5 बजे मंगला आरती होती है, जो साल में सिर्फ दो मौकों पर होती है। होली के अलावा रामनवमी पर मंगला आरती होती है। यहां परिसर में बुंदेलखंड की फाग टोलियां फाग गाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से दूर-दूर से भजन और भाग मंडलियां यहां आती हैं। भगवान श्री रामराजा सरकार की होली देखने और महोत्सव में शामिल होने यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

महाकाल में पहले मनेगी होली
हाकाल मंदिर के आंगन में 24 मार्च को गोधूलि बेला में होलिका दहन किया जाएगा। इससे पहले संध्या आरती में भगवान महाकाल के साथ जमकर होली खेली जाएगी। इस अवसर पर महाकाल के हजारों भक्त रंग और गुलाल में सराबोर नजर आएंगे। होली के इस पावन पर्व का सभी भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। होली के एक दिन पहले ही महाकाल मंदिर में पुजारियों और श्रद्धालुओं द्वारा भगवान महाकाल के साथ होली खेली जाएगी। इसके बाद पुजारी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना कर होलिका दहन करेंगे।

प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति एवं प्रबंध संचालक एमपी टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि ”मध्य प्रदेश सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक विरासत का एक प्रतीक है, जो उत्साह और उल्लास से सराबोर होली समारोहों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। होली के दौरान मध्य प्रदेश एक आकर्षक गंतव्य बन जाता है। यहां की जनजातीय बहुल क्षेत्रों में मनाए जाने वाला भगोरिया पर्व भावनाओं, संस्कृति, और परंपराओं को मजबूत करने का एक माध्यम है। उज्जैन के महाकाल लोक में, भगवान शिव के निवास की दिव्य आभा के बीच उत्सव का आनंद लेने के लिए देश भर से भक्त इकट्ठा होते हैं, जहां एमपी का पहला होलिका दहन होता है। आकर्षण को बढ़ाते हुए, नर्मदापुरम जिले के सेठानी घाट पर एक भव्य महाआरती होती है, जहां नर्मदा नदी का पवित्र जल बहता है, जो रंगीन उत्सवों को एक आध्यात्मिक माहौल प्रदान करता है। इस बीच, छिंदवाड़ा में, मेघनाद मेले में विभिन्न महाराष्ट्रीयन समुदाय भगवान महादेव को रंग लगाने के लिए एक साथ आते हैं, जो एकता और सद्भाव का प्रतीक है।

इंदौर गेर हर साल रंग पंचमी पर राजवाड़ा पैलेस में लाखों आगंतुकों का स्वागत करता है, जहां विशाल तोपों से पानी और रंगों से आसमान सतरंगी होता है और सड़कें खुशी और रंगों से सराबोर हो जाती हैं। बुन्देलखंड क्षेत्र में भी होली का उत्साह चरम पर होता है, विशेष रूप से ओरछा के राम राजा दरबार में, जहां यह त्योहार उल्लास, उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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