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मुगलों में कैसे होते थे अंतिम संस्कार ? कब्र में रखे जाते थे सोने के जेवरात, जानिए

  • March 13, 2025

    नई दिल्‍ली। मुगल बादशाह औरंगजेब (Mughal Emperor Aurangzeb) की कब्र को लेकर देशभर में विरोध चल रहा है. अबू आजमी (Abu Azmi) के एक बयान के बाद औरंगजेब को लेकर चर्चा छिड़ गई और फिर RTI ने कह दिया सरकार औरंगजेब की कब्र (Aurangzeb’s Tomb) के लिए सालाना 2 लाख रुपये खर्च करती है. इस रिपोर्ट ने विरोध की आग को भड़काने का काम किया. इन सब विवादों को एक तरफ कर दें तो क्या आप ये जानते हैं कि आखिर मुगल बादशाहों कैसे दफन किया जाता था. आइए इस बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.

    मुगलों में कैसे होते थे अंतिम संस्कार
    मुगलों में दफन करने की परंपरा में अक्सर भव्य गार्डेन और मकबरे शामिल होते थे. जो कि इन बादशाहों के लिए खासतौर से बनवाए जाते थे. इसकी शुरूआत हुमायूं के मकबरे से हुई थी, इसके बाद ताजमहल सहित और इसके बाद की मुगल वास्तुकला ज्यादातर इन मकबरों से ही प्रभावित थी. इन्हीं संरचनाओं के अंदर मुगल परिवारों के बाकी सदस्यों को दफनाया जाता था. मुगल बादशाहों को आमतौर पर साधारण या उनकी वसीयत के अनुसार बनवाए गए मकबरों में दफनाया जाता था. ये उनकी इच्छाओं और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार होते थे, जैसे कि औरंगजेब चाहता था कि उसका मकबरा एकदम सादा सा हो और खुले आसमान के नीचे हो, उसके ऊपर कोई छत न हो.



    मुस्लिम समाज में किस तरह होता है अंतिम संस्कार
    मुस्लिम समाज में अंतिम संस्कार की अलग प्रक्रिया होती है, जो कि उनके लिए बहुत जरूरी होती है. इस्लामी कानून (शरिया) के अनुसार किसी प्रियजन की मृत्यु के तुरंत बाद अंतिम संस्कार की व्यवस्था शुरू कर देनी चाहिए. किसी प्रियजन की मृत्यु के तुरंत बाद, उनकी आंखें और मुंह बंद कर दिए जाते हैं और शव को एक सफेद चादर से ढंक दिया जाता है. अंतिम संस्कार की रस्मों और रीति-रिवाजों के अनुसार, शव को उसी लिंग के करीबी परिवार के सदस्यों द्वारा तीन बार गुस्ल (नहलाया) कराया जाता है. फिर शव का बायां हाथ छाती पर और दायां हाथ उसके ऊपर रखकर लिटाया जाता है. उसके बाद उसे बड़ी सफेद चादरों से ढंक दिया जाता है और रस्सियों से कफन को बांध दिया जाता है.

    किस तरह बनाई जाती है कब्र
    सबसे पहले, शोक मनाने वाले लोग मस्जिद में सलात अल-जनाजा पढ़ने के लिए एकत्रित होते हैं, जो इस्लामी अंतिम संस्कार प्रार्थना है. इसमें मृतक और सभी मृत मुसलमानों के लिए क्षमा मांगी जाती है. इस दौरान सभी को मक्का की ओर मुंह करके कम से कम तीन पंक्तियों में खड़ा होना होता है. प्रार्थना पूरी होने के बाद शव को चुने गए दफन स्थल पर ले जाया जाता है. मुस्लिम दफन के लिए कब्र मक्का के लंबवत होनी चाहिए, मृतक के शरीर को इस तरह से रखा जाना चाहिए कि उसका दाहिना हिस्सा इस्लामी पवित्र शहर की ओर हो.

    जनाजे पर सीधे मिट्टी नहीं डाली जाती
    इसके बाद जैसे ही शव को कब्र में उतारा जाता है सभी लोग प्रार्थना करते हैं. शव को मिट्टी से छूने से रोकने के लिए पहले उस पर लकड़ी या पत्थर बिछाए जाते हैं. अंत में प्रत्येक शोक मनाने वाला व्यक्ति कब्र में तीन मुट्ठी मिट्टी डालता है. आमतौर पर बड़े या सजावटी हेडस्टोन की अनुमति नहीं होती है, इसलिए उनके अंतिम स्थल की पहचान के लिए एक छोटा पत्थर वहां छोड़ दिया जाता है.

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