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अब कैसे दूर होगी कंगाली? IMF संग बातचीत में अटका रोड़ा, बढ़ गई पाकिस्तान की मुसीबत

इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार और आईएमएफ के बीच देश के आर्थिक संकट को टालने के लिए बेलआउट पैकेज हासिल करने के लिए चल रही बातचीत में खटास आ गई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया कि वार्ता में रोड़ा अटक गया है, क्योंकि दोनों पक्ष बाहरी वित्तपोषण अनुमानों और सटीक घरेलू राजकोषीय उपायों पर एक समझौते पर पहुंचने में असफल रहे. पाकिस्‍तान की सरकार की तरफ से जो वादे किए जा रहे हैं उन पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रकोष को भरोसा नहीं है. इसके अलावा बाकी देशों की ओर से पाकिस्तान को कर्ज देने की जो बातें कही गई हैं, उनकी विश्‍वसनीयता पर भी आईएमएफ को भरोसा नहीं है. इन दो मुद्दों की वजह से आईएमएफ ने ‘मेमोरेंडम फॉर इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल पॉलिसीज’ (MEFP) अभी तक पाकिस्‍तान की सरकार को नहीं सौंपा है.

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ‘द डॉन’ ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से लिखा, ‘बुधवार की रात तक, हमें एमईएफपी का मसौदा प्राप्त नहीं हुआ है. राजकोषीय उपायों और बाहरी फंडिंग स्रोतों दोनों के संदर्भ में अंतिम निर्णय पर आईएमएफ को फैसला लेना है.’ पाकिस्तान 2019 में इमरान खान की सरकार के दौरान 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बेलआउट पैकेज के लिए आगे बढ़ा था, जिसे पिछले साल बढ़ाकर 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया गया था. वर्तमान में इस पैकेज की नौवीं समीक्षा आईएमएफ अधिकारियों और सरकार के बीच 1.18 बिलियन अमरीकी डॉलर जारी करने के लिए बातचीत के साथ लंबित है.

पाकिस्तान की वित्त एवं राजस्व राज्य मंत्री आइशा गौस पाशा ने कहा, ‘हम बेलआउट पैकेज को अंतिम रूप देने के बहुत करीब हैं.’ उन्होंने कहा कि एक बार सभी मुद्दों का समाधान हो जाने के बाद एमईएफपी को आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को सौंप दिया जाएगा. आइशा गौस पाशा ने कहा कि बहुत सी चीजें सुलझा ली गई हैं और उनमें से कुछ पर स्पष्टता की आवश्यकता है, जिसे सरकारी टीम सुलझाने की कोशिश कर रही है. एक लिखित बयान में, पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने कहा कि आईएमएफ के साथ बातचीत बुधवार को जारी रही और ‘राजकोष, वित्तपोषण आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया. सुधार कार्यों और उपायों पर व्यापक सहमति बनी है.’ इसमें कहा गया है कि आईएमएफ मिशन प्रमुख ने वित्त मंत्री से भी मुलाकात की और उन्हें वार्ता के बारे में जानकारी दी.


सूत्रों की मानें तो आईएमएफ ने व्यय में कटौती और अतिरिक्त कराधान उपायों के माध्यम से प्राथमिक शेष राशि में लगभग 600 अरब रुपये की कमी को पूरा करने के अलावा, वित्तीय योजना को बाढ़ सहायता के रूप में लगभग 500 अरब रुपये खर्च करने की सीमा तक छूट देने पर सहमति व्यक्त की थी. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अब भी बाहरी वित्तपोषण प्रतिबद्धताओं के बारे में आश्वस्त नहीं है, विशेष रूप से पाकिस्तान के मित्र देशों- सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन से मिलने वाली मदद के बारे में. आईएमएफ इन देशों की ओर से पाकिस्तान को पहले भी मिल चुकी अधूरी प्रतिबद्धताओं की विरासत को देखते हुए बिजली और गैस दरों में वृद्धि के अग्रिम कार्यान्वयन को भी देखना चाहता था. पाकिस्तान की सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए लगभग 950 अरब रुपये के अंतर को कवर करने के लिए आवश्यक बिजली टैरिफ समायोजन पर सहमत हो गई है.

हालांकि, पाकिस्तान कुछ मुद्दों पर आईएमएफ को अब भी भरोसे में नहीं ले पाया है. अभी तक कोई भी ऐसा विश्‍वसनीय प्‍लान सरकार की तरफ से पेश नहीं किया गया है, जो आईएमएफ को 7 अरब डॉलर के कर्ज की अदायगी का भरोसा दिला सके. बातचीत में शामिल एक अधिकारी की मानें तो चालू खाते के घाटे को वित्‍तपोषण के लिए पैसा कहां से मिलेगा और कम हो चुके विदेशी मुद्राभंडार को कैसे एक सही स्‍तर पर लाया जा सकेगा, इस बारे में भी पाकिस्‍तान कोई भरोसा नहीं दे सका है. इसके अलावा शुद्ध अंतरराष्ट्रीय भंडार के लक्ष्य पर भी आईएमएफ रजामंद नहीं हो सका. वित्‍त सचिव हमीद याकूब शेख के मुताबिक मिशन चीफ नाथन पोर्टर ने वित्‍त मंत्री को इस बारे में जानकारी दी. उन्‍होंने बताया कि आईएमएफ काम कर रहा है और जल्‍द ही एमईएफपी को फाइनल किया जाएगा.

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