- किसानों में मिट्टी की जांच कराने को लेकर आ रही जागरूकता
भोपाल। मिट्टी की गुणवत्ता पर ही निर्भर करता है पेड़-पौधों, फसलों की उत्पादक क्षमता। विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार शहर व आसपास के क्षेत्रों में बहुतायत में काली मिट्टी पाई जाती है। जो सूखने पर बहुत कड़ी व गीली होने पर चिकनी व फिसलन युक्त हो जाती है। ऐसी मिट्टी फसल के लिए स्वस्थ नहीं मानी जाती। क्योंकि मिट्टी और उत्पादन एक-दूसरे से जुड़े हैं इसलिए वर्ष 2015 से स्वॉइल हेल्थ कार्ड योजना की शुरुआत की गई। इसके अनुसार किसान या जो भी व्यक्ति मिट्टी की गुणवत्ता की जांच कराना चाहता है करवा सकता है। इसके बाद से लोगों में मिट्टी की जांच कराने को लेकर जागरूकता आई है और मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार उसमें खाद व पोषक तत्व मिलाए जा रहे हैं।
मृदा की उपजाऊ क्षमता में कमी
मृदा संरक्षण से भारत और अन्य कई देशों के किनारे सिकुड़ रहे हैं। जो चिंता का विषय है इसलिए जरूरी है कि मृदा संरक्षण को रोकने के प्रयास किए जाएं। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण के लिए अधिक फसलोत्पादन के लिए अंधाधुंध असंतुलित रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का उपयोग से मृदा के जैविक गुणों में कमी आ रही है। जिससे मृदा की उपजाऊ क्षमता में कमी के साथ ही मृदा प्रदूषित भी हो रही है।
33 प्रतिशत भाग बंजर
वर्तमान में दुनिया की मृदा का लगभग 33 प्रतिशत भाग बंजर या निम्नीकृत हो चुका है। मानव के भोजन के 95 प्रतिशत भाग मिट्टी से ही होता है। मिट्टी में रहने वाले जीवन पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए पूरे साल दिन-रात काम करते हैं। मिट्टी में रहने वाले जीव कार्बन को स्टोर करने में मदद करते हैं। हर साल पृथ्वी की मिट्टी का लगभग 50 प्रतिशत केंचुओं की आंतों से होकर गुजरता है।
गुणवत्ता बढ़ाने स्वॉइल टेस्ट जरूरी
जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान व कृषि रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि यदि किसी भी तरह की फसलों की उत्पादकता को बढ़ाना है तो मिट्टी की जांच कराना बहुत जरूरी है। जांच के बाद पता चलता है कि मिट्टी में कौन सा पोषक तत्व कम है और उसके अनुसार मिट्टी में वह पोषक तत्व मिलाया जाता है। ऐसा करने पर मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है। जो लोग स्वॉइल टेस्ट नहीं करवाते वहां मिट्टी की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है। स्वॉइल टेस्ट करवाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क किया जा सकता है। इसके साथ ही काली मिट्टी को संतुलित बनाने के लिए गोबर की खाद एक उपयुक्त साधन है। जिसे मिट्टी में मिलाकर मिट्टी को बेहतर गुणवत्ता युक्त बनाया जा सकता है।
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