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हाथरस मामले मेंं परिवार न्याय मिलने तक बिटिया का अस्थि विसर्जन नहीं करेगा

लखनऊ । इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई के बाद हाथरस का पीड़ित परिवार वापस आ गया है. भारी भरकम सुरक्षा इंतजाम के बीच परिवार वापस लौटा है. वापस आने के बाद पीड़ित परिवार ने बताया कि बिटिया के शव को दिखाए बिना जलाये जाने के संबंध में सारी बातें कोर्ट को बताई हैं.

परिवार ने बताया कि कोर्ट की तरफ से जिलाधिकारी जमकर फटकार लगाई गयी. पीड़ित परिवार का कहना है कि न्याय मिलने तक चिता से एकत्रित की गयीं अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे. बता दें कि तीन अक्टूबर को पीड़ित के भाई ने अस्थियां चुनी थीं. परिवार के साथ गयीं और बापस लौटीं नोडल अधिकारी और एसडीएम अंजलि गंगवार ने बताया है कि परिवार की सुरक्षा और उनके कम्फर्ट का पूरा ध्यान रखा गया और बेसिक सारे प्रोटोकॉल फॉलो किये गए.

बतादें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार हाथरस के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को दलित युवती के साथ कथित दुष्कर्म, मारपीट और मौत के मामले में सुनवाई की. सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार ने कोर्ट के सामने तीन मांगे रखीं. पीड़िता के परिवार ने कोर्ट से कहा कि वह इस मामले को यूपी के बाहर के किसी राज्य में ट्रांसफर करने का आदेश दे. इसके अलावा परिवार ने अनुरोध किया कि सीबीआई जांच के सभी तथ्य जांच पूरी होने तक पूरी तरह से गोपनीय रखे जाएं, साथ ही जांच की अवधि में परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

कोर्ट में जैसे ही सुनवाई शुरू हुई अदालत के सवाल पर पीड़ित परिवार का दर्द छलक पड़ा. परिवार ने बताया कि हमारी मर्जी के बगैर रात में अंतिम संस्कार कर दिया गया, अंतिम संस्कार के दौरान परिवार का कोई भी साथ मौजूद नहीं था सिर्फ कुछ गांव वालों को बुलाकर वहां पर गोबर के उपले रखवा दिए गए थे. जबकि हम चाहते थे कि अंतिम संस्कार सुबह 5 बजे के बाद किया जाए , परिवार को अपनी बेटी का चेहरा देखने का एक अंतिम मौका भी नहीं मिला.

इसपर कोर्ट ने एडीजी प्रशांत कुमार से पूछाम अगर आपकी अपनी बेटी होती तो क्या वह बिना चेहरा देखे उसका अंतिम संस्कार होने देते ? कोर्ट ने डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार को भी कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने डीएम से कहा, ”जिस अंतिम संस्कार में गंगाजल का इस्तेमाल होता है, उसमें आप ने केरोसिन तेल और पेट्रोल का इस्तेमाल कर शव जलाया. यह मानवाधिकार का उल्लंघन है.”

अपने बचाव में डीएम प्रवीण कुमार ने दलील दी कि वहां काफी लोग जमा थे, कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका की वजह से रात में अंतिम संस्कार का फैसला लिया गया. पीड़िता के परिवार ने डीएम के इस दावे का भी जोरदार तरीके से विरोध किया.

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