
बेंगलुरु। हिजाब विवाद (Karnataka hijab controversy) को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka high court) में आठवें दिन भी सुनवाई की। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस (chief Justice) ने साफ तौर पर कहा कि मामले को इसी हफ्ते खत्म करना चाहते हैं। इससे पहले सोमवार को कर्नाटक सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा (religious tradition) नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखना चाहिए। बता दे की हिजाब मामले की सुनवाई हाई कोर्ट की फुल बेंच कर रही है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों का सहयोग मांगा है। मंगलवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता लड़कियों (petitioner girls) के वकील ने हाईकोर्ट से उन मुस्लिम छात्राओं (Muslim Students) को कुछ छूट देने का अनुरोध किया जो हिजाब पहनकर स्कूल और कॉलेज जाना चाहती हैं। वहीं महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने अदालत को बताया कि स्कूल परिसर में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि सिर्फ क्लासरूम में हिजाब पहनने की मनाही है और यह नियम हर धर्म पर समान रूप से लागू होता है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 19 के अधिकार के रूप में हिजाब पहनने के अधिकार को अनुच्छेद 19 (2) के तहत प्रतिबंधित किया जा सकता है।
इस मामले में रूल 11 संस्थानों के अंदर एक उचित प्रतिबंध लगाता है और यह एक संस्थागत अनुशासन के तहत आता है। बता दे की याचिकाकर्ता का पूरा दावा हिजाब को अनिवार्य बनाने का है, जो संविधान के लोकाचार के खिलाफ है। इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है इसे संबंधित महिलाओं की पसंद पर छोड़ देना चाहिए। स्कूल व कॉलेज में हिजाब की अनुमति को लेकर याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का रुख किया था।
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी (Chief Justice Ritu Raj Awasthi), न्यायमूर्ति जेएम खाजी (Justice JM Khaji) और न्यायमूर्ति कृष्णा एम दीक्षित (Justice Krishna M Dixit) की फुल बेंच क्लास के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली लड़कियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। चीफ जस्टिस ने कहा- हम इस मामले को इसी हफ्ते खत्म करना चाहते हैं। इस सप्ताह के अंत तक इस मामले को समाप्त करने के लिए सभी प्रयास करें।
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