नई दिल्ली। ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारत कुछ सामानों पर ब्रिटेन के उद्योगों को शुल्क में कोई छूट नहीं देगा। जिन सामानों पर शुल्क में छूट नहीं दी जाएगी, उनमें हीरे, चांदी, स्मार्टफोन और ऑप्टिकल फाइबर आदि शामिल हैं। वहीं समझौते के तहत ब्रिटेन से आयात होने वाले पेट्रोल और डीजल इंजन वाहनों पर भी शुल्क में सीमित छूट मिलेगी। दोनों देशों के बीच इस पर सहमति बनी है।
मुक्त व्यापार समझौते के तहत ब्रिटेन से रियायती सीमा शुल्क दर पर आयात होने वाले ब्रिटिश इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात का कोटा भी केवल कुछ हजारों तक सीमित है। वहीं संवेदनशील औद्योगिक उत्पादों जैसे प्लास्टिक, हीरा, चांदी, स्मार्टफोन, टेलीविजन कैमरा ट्यूब, ऑप्टिकल फाइबर बंडल और केबल को भी एफटीए से बाहर रखा गया है। इसके चलते इन सामानों के आयात पर भारत द्वारा ब्रिटेन को कोई लाभ नहीं दिया जाएगा। एफटीए के तहत भारत के ऑटो सेक्टर को खोला गया है। इसके तहत ऑटोमोटिव आयात पर शुल्क 100 प्रतिशत से 10 प्रतिशत हो जाएगा, जिससे टाटा-जेएलआर जैसी कंपनियों को लाभ होगा। आंतरिक दहन इंजन वाहनों के लिए ब्रिटेन बाजार तक पहुंच से देश के ऑटो और ऑटो घटकों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
भारत और यूके ने मंगलवार को ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शुल्क कम करेगा और ब्रिटिश फर्मों के लिए भारत को व्हिस्की, कार और अन्य उत्पादों का निर्यात करना आसान बना देगा। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। एफटीए का उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर दोगुना करना है। एफटीए के तहत भारत के ऑटो उत्पाद ब्रिटेन के बाजार में बिक सकेंगे और भारतीय ग्राहक, ब्रिटेन की प्रीमियम कारों को अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर खरीद सकेंगे। इसका असर भारतीय कार निर्माताओं पर पड़ने की आशंका कम है क्योंकि अधिकतर भारतीय अभी भी बजट वाहनों को प्राथमिकता देते हैं।
इसके अलावा, एफटीए के तहत, भारत ने सिरेमिक, पेट्रोलियम उत्पादों, कार्बन, लाल फास्फोरस, सल्फ्यूरिक एसिड, बोरिक एसिड, विमान इंजन और इंजीनियरिंग उपकरण जैसे रसायनों पर शुल्क समाप्त करने के लिए लंबी अवधि ली है। 2023-24 में, ब्रिटेन को भारत का माल निर्यात 12.92 अरब अमरीकी डॉलर था, जबकि आयात 8.41 अरब अमरीकी डॉलर था।
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