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    सूर्य का निरीक्षण करने के लिए वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया भारत की सौर वेधशाला आदित्य-एल1 ने

  • September 18, 2023


    चेन्नई । भारत की सौर वेधशाला (India’s Solar Observatory) आदित्य-एल1 (Aditya-L1) ने सूर्य का निरीक्षण करने के लिए (To Observe the Sun) वैज्ञानिक डेटा (Scientific Data) एकत्र करना शुरू कर दिया (Starts Collecting) । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (एसटीईपीएस) उपकरण के सेंसर, जो कि आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसीईएक्‍स) पेलोड का एक हिस्सा है, ने वैज्ञानिक डेटा का संग्रह शुरू कर दिया है।


    अहमदाबाद में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के सहयोग से भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) द्वारा विकसित, एसटीईपीएस उपकरण ने पृथ्वी से 50 हजार किमी से अधिक दूरी पर सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों और इलेक्ट्रॉनों को मापना शुरू कर दिया है। यह डेटा वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद करता है। एसटीईपीएस में छह सेंसर हैं जो अलग-अलग दिशाओं में निरीक्षण करता है और एक मेगा इलेक्‍ट्रॉन वोल्‍ट अधिक इलेक्ट्रॉनों के अलावा 20 किलो इलेक्‍ट्रॉन वोल्‍ट/न्यूक्लियॉन से 5 मेगा इलेक्‍ट्रॉन वोल्‍ट/न्यूक्लियॉन तक के सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों को मापता है। ये माप निम्न और उच्च-ऊर्जा कण स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग करके किए जाते हैं। पृथ्वी की कक्षाओं के दौरान एकत्र किए गए डेटा से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद मिलती है, खासकर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में।

    इसरो के अनुसार, एसटीईपीएस को 10 सितंबर को पृथ्वी से 50 हजार किमी से अधिक दूरी पर सक्रिय किया गया था। यह दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के आठ गुना से भी अधिक के बराबर है, जो इसे पृथ्वी के विकिरण बेल्ट क्षेत्र से काफी आगे रखती है। एसटीईपीएस की प्रत्येक इकाई सामान्य मापदंडों के भीतर काम कर रही है। इसरो ने कहा कि एक आंकड़ा पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के भीतर ऊर्जावान कण वातावरण में भिन्नता को दर्शाता माप प्रदर्शित करता है, जिसे एक इकाई द्वारा एकत्र किया गया है।

    ये चरण माप आदित्य-एल1 मिशन के क्रूज़ चरण के दौरान जारी रहेंगे जब यह सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित एल1 बिंदु की ओर आगे बढ़ेगा। अंतरिक्ष यान के अपनी इच्छित कक्षा में स्थापित होने के बाद भी अध्‍ययन जारी रहेगा। इसरो ने कहा कि एल1 के आसपास एकत्र किया गया डेटा सौर हवा और अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं की उत्पत्ति, त्वरण और अनिसोट्रॉपी में अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।

    भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इस बीच, आदित्य-एल1 को 19 सितंबर को सूर्य की ओर औपचारिक विदाई दी जाएगी, जब अंतरिक्ष यान ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 इंसर्शन (टीएल1आई) की ओर जाएगा। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-एक्सएल (पीएसएलवी-एक्सएल) संस्करण ने 2 सितंबर को आदित्य-एल1 को पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) में स्थापित किया था। तब से इसरो द्वारा अंतरिक्ष यान की कक्षा को चार बार बढ़ाया गया है। जैसे ही अंतरिक्ष यान लैग्रेंज पॉइंट (एल1) की ओर यात्रा शुरूकरेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा।

    इसके बाद, क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी हेलो कक्षा में इंजेक्ट किया जाएगा – वह बिंदु जहां दो बड़े पिंडों – सूर्य और पृथ्वी – का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव बराबर होगा और इसलिए अंतरिक्ष यान किसी भी ग्रह की ओर नहीं खिंचेगा। लॉन्च से एल1 तक की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे और पृथ्वी से दूरी लगभग 15 लाख किमी होगी।

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