भोपाल। जबलपुर में 13 वर्षीय बालक के अपहरण और फिर हत्या के मामले में पुलिस की हर स्तर पर लापरवाही सामने आई। अपहरण के बाद आरोपी बालक को कार में लेकर शहर में घूमते रहे, फिर उसकी हत्या के बाद भी फिरौती वसूली गई। खास बात यह है कि जिस स्थान पर फिरौती के आठ लाख रुपए लिए गए थे, वहां पुलिस ने 200 जवाबों को सादा वर्दी में तैनात किया था। इसके बावजूद भी आरोपी रुपए लेकर निकल गए थे। फिर मुख्य आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं। अभी तक जबलपुर पुलिस हर स्तर पर फेल साबित रही है। आरोपितों ने मृतक आदित्य के पिता मुकेश लांबा को 16 अक्टूबर की रात फिरौती की रकम लेकर खजरी खिरिया बायपास पहुंचने को कहा था। वे आठ लाख रुपये लेकर खजरी खिरिया पहुंचे तो आरोपितों ने बैग नाले के किनारे रखने को कहा। मुकेश ने निर्धारित स्थान पर बैग रख दिया। नाले के इर्द-गिर्द सादे कपड़ों में पुलिस के जवानों का पहरा लगाया गया था। इसके बाद दो आरोपित सफेद रंग की एक्टिवा से वहां पहुंचे और आसानी से बैग लेकर चले गए। पुलिस ने उस समय उनका पीछा तक नहीं किया।
पुलिस वाले की कार से अपहरण
वारदात में प्रयुक्त एक कार के तार नरसिंहपुर पुलिस से जुड़े होने की जानकारी सामने आई है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपितों द्वारा उपयोग में लाई गई एक कार नरसिंहपुर जिले में पदस्थ पुलिस के प्रधान आरक्षक की है। कार को प्रधान आरक्षक का भाई चलाता था। इधर, पुलिस का कहना है कि वारदात में प्रयुक्त दो कार व दो अन्य दो पहिया वाहन जब्त किए गए हैं। इनमें से एक कार किराये पर ली थी।
मुझे मार डालो, जीना नहीं चाहता…
सूत्रों के अनुसार आरोपितों को गिरफ्तार कर खमरिया थाने में रखा गया था। जहां मुख्य आरोपित रहा राहुल उर्फ मोनू चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा था कि मुझे मार डालो, मैं जीना नहीं चाहता। इस बीच उसने कथित तौर पर फांसी लगाने का भी प्रयास किया था। सूत्रों का कहना है कि मोनू को अपराधबोध हो गया था, लिहाजा आत्मग्लानिवश जान देने का प्रयास कर रहा था।