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जेल में बंद DU के प्रोफेसर GN साईबाबा 7 साल बाद रिहा, बंबई HC ने किया था बरी; नक्सली से संबंध के थे आरोप

नई दिल्‍ली(New Delhi) । माओवादियों से संबंध के मामले में बंबई हाईकोर्ट (Bombay High Court)द्वारा बरी किए गए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा (Former Professor GN Saibaba)को गुरुवार को नागपुर केंद्रीय कारागार (Nagpur Central Jail)से रिहा (released)कर दिया गया। अदालत ने साईबाबा को मंगलवार को बरी(acquitted on tuesday) किया था। उन्हें कथित माओवादी संबंध मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद साईबाबा 2017 से यहां जेल में बंद थे। इससे पहले, वह 2014 से 2016 तक इस जेल में थे और बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।

शारीरिक अक्षमता के कारण व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले साईबाबा ने जेल से बाहर आने के बाद मीडिया से कहा, ‘‘मेरा स्वास्थ्य बहुत खराब है। मैं बात नहीं कर सकता। मुझे पहले इलाज कराना होगा और उसके बाद ही मैं बात कर पाऊंगा।’’ आपको बता दें कि जेल के बाहर उनके एक परिजन इंतजार कर रहे थे।

यूएपीए कानून की मंजूरी को अमान्‍य ठहराया


बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने साईबाबा की सजा को रद्द करते हुए मंगलवार को कहा था कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा।

अदालत ने 54 वर्षीय साईबाबा को दी गई आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अभियोजन की मंजूरी को अमान्य ठहराया।

जिला अदालत ने 2007 में दोषी ठ‍हराया था

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने कथित माओवादी संबंधों और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए साईबाबा और एक पत्रकार तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक छात्र सहित पांच अन्य लोगों को मार्च 2017 में दोषी ठहराया था।

माओवादियों से संबंध रखने के मामले में बरी कर दिया

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने मंगलवार को साईबाबा और पांच अन्य को यूएपीए के तहत माओवादियों से संबंध रखने के मामले में बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ मामला साबित नहीं कर सका। पीठ में न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी एसए मेनेजेस शामिल थे। पीठ ने गढ़चिरौली की सत्र अदालत के 2017 के फैसले को पलट दिया, जिसमें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

हाई कोर्ट ने साईबाबा के अलावा महेश तिर्की, पांडु पोरा नरोटे, हेम केशवदत्त मिश्रा, प्रशांत राही और विजय नान तिर्की को बरी कर दिया। 26 अगस्त 2022 को स्वाइन फ्लू के कारण नरोटे की जेल में मृत्यु हो गई थी।

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