टोक्यो। टोक्यो हाई कोर्ट (Tokyo High Court) ने समलैंगिक विवाह (Gay marriage) को मान्यता न देने के सरकार के फैसले को सही और संवैधानिक करार दिया है। हाई कोर्ट ने अपने इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि कानून के तहत विवाह को आम तौर पर पुरुष और महिला (male and female) के बीच का संबंध माना गया है। ऐसे में सरकार द्वारा समलैंगिक विवाह को मान्यता न देना संवैधानिक फैसला है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट की तरफ से आए इस फैसले ने पिछले साल निचली कोर्ट के फैसले को पलट दिया है, जिसमें याचिकाकर्ताओं को जीत मिली थी।
मुकदमा खारिज होने के बाद याचिकाकर्ताओं और उनके वकील ने इसे अन्यायपूर्ण बताया और सुप्रीम कोर्ट तक अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही।
याचिकाकर्ता हिरोमी हाटोगाई ने कहा, “इस फैसले से मैं बहुत निराश हूं। दुख से ज्यादा, मैं इस फैसले से स्तब्ध और क्रोधित हूं। क्या न्यायाधीश हमारी बात सुन भी रहे थे?”
एक अन्य याचिकाकर्ता री फुकुदा ने कहा, “हम सिर्फ शादी करना चाहते हैं और किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह खुश रहना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि समाज बदल रहा है। हम हार नहीं मानेंगे।”
जापान में इस तरह के अभी कई मामले चल रहे हैं। इन सभी मामलों पर हाई कोर्ट की प्रतिक्रिया आ चुकी है। ऐसे में अब यह मामला जापानी सुप्रीम कोर्ट में पहुंचेगा, जिस पर अगले साल तक कोई फैसला आ सकता है।
आपको बता दें जी-7 देशों में से जापान अकेला ऐसा देश है, जो समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देता है। और न ही एलजीबीटीक्यू जोड़ों के लिए किसी भी तरह का कोई संरक्षण उपलब्ध कराता है। इसके अलावा वर्तमान में सत्ता में बैठीं पीएम साने ताकाइची की अगुवाई वाली लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी भी समलैंगिक विवाह की मुखर विरोधी है।
घटती जनसंख्या से परेशान सरकार का तर्क है कि दीवानी कानून के तहत विवाह में समलैंगिक जोड़े शामिल नहीं है। लोगों के इसके बदले में प्राकृतिक प्रजनन को महत्व देना चाहिए।
2019 के बाद से जापान में समलैंगिक विवाह के लिए दर्जनों मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनमें कुल 30 से अधिक याचिकाकर्ता शामिल हैं। उनका कहना है कि समलैंगिक विवाह पर रोक संविधान में प्रदान की गई समानता के अधिकार और विवाह की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
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