
पटना । बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) में जनता दल (यूनाइटेड) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह कम अंतर वाली सीटों पर निर्णायक पकड़ रखती है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि जद(यू) (JDU) ने अपनी कुल जीती गई सीटों में से एक तिहाई से अधिक यानी 31 सीटें 5,000 से भी कम वोटों के अंतर से जीती हैं. यह परिणाम न केवल पार्टी की जीत सुनिश्चित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बिहार के कड़े चुनावी मुकाबले में जद(यू) की सूक्ष्म प्रबंधन रणनीति कितनी प्रभावी रही है.
5000 वोटों से कम अंतर वाली सीटों पर जद(यू) का दबदबा
इस चुनाव में कुल 63 सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत-हार का फैसला 5,000 से कम वोटों के अंतर से हुआ. इन सीटों में जद(यू) ने सबसे अधिक 31 सीटें जीतकर अपनी दक्षता दिखाई. वहीं, सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 10 सीटें और महागठबंधन की प्रमुख पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 11 सीटें 5,000 से कम वोटों के अंतर से जीतीं.
जद(यू) ने 2,000 से भी कम वोटों के अंतर से 14 सीटें जीतीं, जो 2020 के रिकॉर्ड (18 सीटें) के मुकाबले थोड़ी कम है. हालांकि, कम अंतर वाली सीटों पर उसका प्रदर्शन अभी भी सबसे मजबूत रहा है.
सबसे करीबी और सबसे बड़ी जीत
कम अंतर वाली सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला:
सबसे करीबी जीत: संदेश सीट से जद(यू) के राधा चरण सेठ ने राजद के दीपू सिंह को मात्र 27 वोटों के अंतर से हराया.
बड़ी जीत: राजद के अवधेश कुमार सिंह ने बेलागंज से जद(यू) की मनोरमा देवी को 23,620 वोटों के बड़े अंतर से हराया.
छोटे दलों ने बिगाड़ी खेल
इस चुनाव में छोटे दलों ने भी कई सीटों पर मुख्य दलों के समीकरण को बिगाड़ा. उदाहरण के लिए, मटिहानी सीट पर राजद के नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने जद(यू) के राज कुमार सिंह को 5,290 वोटों से हराया.
कुल मिलाकर, जद(यू) ने अपनी पिछली रिकॉर्ड जीत मार्जिन की सफलता को इस चुनाव में भी दोहराया है. कम अंतर वाली सीटों पर उसकी निर्णायक बढ़त ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को भारी बहुमत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जद(यू) की यह ‘मार्जिन की रणनीति’ बताती है कि बिहार की राजनीति में सीट-दर-सीट सूक्ष्म प्रबंधन और संगठनात्मक ताकत कितनी मायने रखती है.
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