नई दिल्ली (New Delhi)। जोशीमठ (Joshimath) में भू-धंसाव (landslide) की त्रासदी पर जनता से लेकर सरकार टेंशन में है। सरकार के निर्देश पर यहां दो होटलों को गिराने का काम किया जा रहा है, लेकिन खराब मौसम और स्थानीय लोगों के मुआवजे को लेकर जारी भारी विरोध के बीच कार्य में देरी हो रही है। हालांकि सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) के आश्वासन के बाद विरोध कुछ हद तक शांत है। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) (Indian Space Research (ISRO)) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (National Remote Sensing Center) ने जोशीमठ शहर की सैटेलाइट छवियां (satellite images of the city) जारी की हैं। इन तस्वीरों से पता चला है कि 12 दिनों में 5.4 सेमी का तेजी से धंसाव दर्ज किया गया है। यह रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है क्योंकि इससे पहले अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच महज 9 सेमी का धंसाव दर्ज हुआ था। नतीजन इसरो ने चेतावनी जारी की है कि भू-धंसाव तेजी से बढ़ रहा है। आगे इसमें और तेजी से होने की संभावना है।
इसरो द्वारा जारी की गई सैटेलाइट तस्वीरों में भू-धंसाव का अध्ययन 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच किया गया है। इस अध्ययन से पता लगा है कि इन 12 दिनों में जोशीमठ शहर में 5.4 सेमी का भूमि धंसाव दर्ज हुआ है। वहीं, इससे पहले अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ में 9 सेमी की धीमी गिरावट देखी गई थी। एनएसआरसी ने कहा कि पिछले सप्ताह दिसंबर और जनवरी के पहले सप्ताह के बीच तेजी से धंसने की घटना शुरू हुई थी।
खराब मौसम और लोगों के विरोध से रुका विध्वंस कार्य
सेटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर सहित सेंट्रल जोशीमठ में सबसिडेंस जोन स्थित है। जोशीमठ को चमोली जिला प्रशासन द्वारा भू-धंसाव क्षेत्र घोषित कर दिया गया है, क्योंकि सैकड़ों घरों में कुछ दिनों के भीतर दरारें आ गईं और परिवारों को स्थानांतरित करना पड़ा। उधर, सरकार ने 1.5 लाख रुपये के अंतरिम राहत पैकेज की घोषणा की है और पुनर्वास पैकेज पर काम कर रही है। दो होटलों का विध्वंस गुरुवार को शुरू हुआ लेकिन खराब मौसम और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण फिर से रोक दिया गया। एसडीआरएफ का कहना है कि दोनों होटल एक-दूसरे की तरफ झुक गए हैं। इससे अन्य इमारतों को भी नुकसान हो सकता है।
दोषी ठहराए जाने पर एनटीपीसी की सफाई
प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि केवल होटल मलारी इन और माउंट व्यू होटल को ध्वस्त किया जाएगा क्योंकि उनका अस्तित्व आसपास के ढांचे के लिए खतरनाक है। जोशीमठ के डूबने का विश्लेषण करने के लिए कई विशेषज्ञ टीमों को लगाया गया है। फिलहाल एक्सपर्ट्स ने एनटीपीसी जलविद्युत परियोजना के लिए सुरंग खोदने के काम को इसके पीछे दोषी ठहराया है। एनटीपीसी ने हालांकि एक बयान जारी कर दावा किया कि उनकी सुरंग जोशीमठ के नीचे से नहीं गुजर रही है।