
जहां एक ओर देश के कई राज्य वैक्सीन की किल्लत से जूझ रहे हैं, वहीं केरल ने वैक्सीन की बर्बादी को रोककर मिसाल पेश की है। कुशल स्वास्थ्यकर्मी और जनता के सहयोग से केरल ने जीरो वेस्टेज वैक्सीन की उपलब्धि हासिल की है। वैक्सीनेशन (Vaccination) के केरल मॉडल के खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी कायल हो गए और उन्होंने वैक्सीन वेस्टेज को कम से कम रखने पर स्वास्थ्यकर्मियों (Health workers) की तारीफ भी की। यह इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि केरल में इस वक्त कोरोना संक्रमण के रेकॉर्ड केस सामने आ रहे हैं।
बुधवार को केरल के सीएम पिनराई विजयन ने ट्वीट कर बताया कि राज्य को केंद्र की ओर से मिली 73,38,806 वैक्सीन की डोज का इस्तेमाल करते हुए 74,26,164 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। यानी केरल ने 87,358 अतिरिक्त वैक्सीन डोज का इस्तेमाल कर वैक्सीन वेस्टेज को शून्य कर दिया। पिनराई विजयन ने आगे लिखा, ‘हमने हर वायल में वेस्टेज के हिसाब से मिली, अतिरिक्त डोज का भी इस्तेमाल किया। हमारे स्वास्थ्यकर्मी, खासकर नर्स पूरी तरह कुशल हैं और बधाई के पात्र हैं।’
केरल में वैक्सीन स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और इस्तेमाल के प्रोटोकॉल के कड़ाई के पालन के साथ जीरो वैक्सीन वेस्टेज का तमगा हासिल हुआ है। इसका मतलब है कि केरल की नर्से वैक्सीन की प्रत्येक वायल में आखिरी बूंद का सदुपयोग करने में सफल हुई हैं।
केरल में वैक्सीन की ओवरफिल मात्रा का सदुपयोग
प्रत्येक 5 मिली की वायल में कुल 10 डोज होती हैं। इसमें 0.58 से 0.62 मिली (16 से 24 फीसदी) ओवरफिल होता है। वायल में एक्स्ट्रा वैक्सीन भरना एक कॉमन प्रैक्टिस है जिसे ओवरफिल कहा जाता है। यह स्वास्थ्य कर्मियों को लोगों को सही मात्रा में खुराक देने में मदद करता है।
एक वायल से 11 से 13 लोगों को लग सकती है वैक्सीन
साधारण तौर पर, एक वायल से 1.1 फीसदी वैक्सीन वेस्ट हो जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो ज्यादातर स्थिति में 10 डोज की एक वायल से 8 से 9 लोगों को ही वैक्सीन लग पाती है। जबकि एक कुशल नर्स प्रत्येक वायल से 11 से 13 लोगों को वैक्सीन की डोज दे सकती है।
शीशी खुलने के 4 घंटे के अंदर करना होता है इस्तेमाल
एक तथ्य यह भी है कि वैक्सीन की वायल के एक बार खुलने के बाद उसे चार घंटे के अंदर ही इस्तेमाल करना होता है। इसी के साथ एक वायल की बची हुई वैक्सीन को दूसरे वायल में मिलाया नहीं जा सकता है। केरल ने तय किया कि वह वैक्सीन की वायल का तभी इस्तेमाल करेंगे टीके के लिए कम से कम 10 लोग उपलब्ध हों।
लोगों को कॉल करके वैक्सिनेशन सेंटर बुलाया गया
शुरुआत में कोविन ऐप में कुछ तकनीकी खामियों के चलते केरल के प्रत्येक वैक्सिनेशन सेंटर (Vaccination center) का स्टाफ वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों की लिस्ट तैयार करता था और उन्हें वैक्सिनेशन वाले दिन व्यक्तिरूप से कॉल करके सेंटर बुलाया जाता।
स्टोरेज की सही प्रक्रिया से भी वैक्सीन की बर्बादी रोकी
सीपोर्ट और एयरपोर्ट के कोविड नोडल अधिकारी डॉ. एमएम हनीश ने बताया, ‘हमारे पास तिरुवनंतपुरम, एर्नाकुलम और कोझिकोड में क्षेत्रीय वैक्सीन स्टोर हैं। इन्हें कोल्ड स्टोरेज मे शिफ्ट किया जाता है। एक दिन में जितनी वैक्सीन की जरूरत होती है उन्हें यहां से सेंटर भेजा जाता है।’
पीएम मोदी ने भी की तारीफ
पीएम मोदी ने केरल (Kerala) की तारीफ करते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि वैक्सीन के वेस्टेज को कम करने में स्वास्थ्य कर्मियों और नर्सों ने जो उदाहरण पेश किया है, वह शानदार है। वैक्सीन वेस्टेज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार राज्य सरकारों (State governments) और एक्सपर्ट्स से अपील कर चुके हैं।
देश में कुल 3 लाख डोज बर्बाद
डेटा के अनुसार, देश में अब तक करीब 3 लाख डोज बर्बाद हो चुकी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, तमिलनाडु, असम, मणिपुर और हरियाणा में सबसे अधिक वैक्सीन बर्बाद हुई है। 5 मई के डेटा के तहत, लक्षदीप में 9.76 फीसदी , तमिलनाडु में 8.83 फीसदी, असम में 7.7 फीसदी, मणिपुर में 7.44, हरियाणा में 5.72 फीसदी, दादरा एवं नगर हवेली में 4.99 फीसदी, पंजाब में 4.98 फीसदी, बिहार में 4.95 फीसदी, नगालैंड में 4.13 फीसदी और मेघालय में 4.01 वैक्सीन बर्बाद हुईं।
इसके उलट केरल, गोवा, मिजोरम, अंडमान-निकोबार (Andaman and Nicobar), ओडिशा, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और अरुणाचल प्रदेश में वैक्सीन वेस्ट का आंकड़ा निगेटिव में है। यानी यहां वैक्सीन की बर्बादी बहुत कम है।
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