भोपाल। शिवराज सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों को राज्य सरकार द्वारा विशेष पैकेज देने का एलान किया है।
आयुष्मान योजना के अंतर्गत जो आयुष्मान कार्ड बनाए गए है उस कार्ड को माध्यम बनाकर कार्डधारी इस योजना से जुड़े अस्पतालों में अब निशुल्क उपचार प्राप्त कर सकते है ,इसी के साथ सरकार ने ये निर्देश भी दिए है कि जो अस्पताल इससे अनुबंधित है उन्हें २०% बेड आयुष्मान हितग्राहियों के लिए आरक्षित रखना होगा।
ये कदम सरकार ने इतनी मजबूती से अब इसलिए भी उठाया है क्यूँकि सूत्रों की जानकारी के अनुसार कोविड संक्रमण के प्रथम और द्वितीय चरण में अनुबंधित अस्पतालों में इन आरक्षित बेड का उपयोग ना के बराबर हुआ है।
अतः इस सुविधा के पर्याप्त प्रचार प्रसार हेतु व कार्ड धारियों को निःशुल्क कोविड उपचार देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कुछ विशेष निर्णय लिए गए है ।
जानिए मुख्य निर्देशो के बारे में :
1. निजी अस्पतालों की दरो को ध्यान में रखते हुए और उन दरो को समकक्ष करने हेतु आयुष्मान योजना की दरो को ४०% तक बढ़ाया गया है ,इन दरो में विशेष जाँच जैसे सीटी स्कैन ,एम आर आई की पूर्व निर्धारित सीमा ५००० प्रति परिवार को संशोधित करके ५००० प्रति कार्ड धारी कर दी गयी है जो मूलतः कोविड -१९ के उपचार हेतु दी जाएगी।
2. वर्तमान में जहाँ कोविड के उपचार के लिए २६८ अस्पताल ही अनुबंधित है तो ऐसे में नए नियमो के अनुसार हर ज़िले की ज़िला स्वास्थ्य समिति को ज़िले के स्तर पर सार्थक पोर्टल पर पंजीकृत अस्पतालों को ३ महीने के अस्थायी अनुबंध में लाने के लिए अधिकृत किया गया है ।
3. आयुष्मान योजना के अंतर्गत आने वाले परिवार के प्रत्येक सदस्य को कार्ड उपलब्ध कराने हेतु अभियान चलाने के आदेश दिए है।प्रत्येक सदस्य का अपना अलग कार्ड और अपना अलग लाभ हो ऐसी मंशा रखते हुए निर्देश दिए है। और फिर भी यदि आयुष्मान योजना के अंतर्गत आने वाले परिवार में किसी को कोरोना हो और उस व्यक्ति विशेष का कार्ड ना हो तो भी उसका निःशुल्क उपचार करने के आदेश दिए है ऐसे में घर में रह रहे किसी भी एक सदस्य के कार्ड के आधार पर इलाज करना ज़रूरी है।
4. जिस सदस्य को कोरोना हुआ है और उसका कार्ड नहीं है तो ऐसे में उसका उपचार किसी दूसरे सदस्य के कार्ड पर शुरू होने के साथ ही मरीज़ का कार्ड भी ३ दिन के अंदर बनवाना ज़रूरी है जो कि ज़िला कलेक्टर के द्वारा मुमकिन है।
5. आयुष्मान कार्डधारियों के बिना परेशानी उपचार करने हेतु सरकार ने अपर कलेक्टर द्वारा दूसरे किसी अधिकारी को नोडल अधिकारी घोषित करने की माँग की है ,अस्पताल में किसी भी तरह की समस्या आने पर मरीज़ या परिवार द्वारा इस अधिकारी से सम्पर्क किया जा सकेगा ।
अंततः सरकार ने ये भी जानकारी दी कि उपचार के दौरान यदि मरीज़ या परिजन को कोई शिकायत हो तो उस कार्यवाही की जाँच हेतु एक विशेष सेल बनायी जाएगी ताकि उनका उपचार सुगमता से हो सके।आर्थिक रूप से कमजोर मरीज़ों को निःशुल्क उपचार कराना फ़िलहाल सरकार की प्राथमिकता है।
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